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जागरण विशेष ,,, फोटो- 18,,अरबों की संपत्ति के बंटवारे में लग गए 45 साल

मुस्लेमीन रामपुर नवाब खानदान की रामपुर में अरबों रुपये की संपत्ति है। इसे लेकर परिवार में लंबे समय से विवाद चल रहा है। पहले मुंसिफ कोर्ट फिर जिला जज और उसके बाद हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट तक मुकदमा पहुंच गया। मुकदमेबाजी में 45 साल गुजर गए। नवाब मुर्तजा अली खां और नवाब जुल्फिकार अली खां उर्फ मिक्की मियां मुकदमा लड़ते-लड़ते दुनिया को अलविदा कह गए। उनकी औलाद भी इसी मुकदमेबाजी में उलझी रही। लेकिन दो माह पहले सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया। इसका बंटवारा इस्लामी शरीयत के हिसाब से होगा कितु यह बंटवारा जिला जज को करना है जिसे तय करने के लिए भी सवा साल का वक्त दिया गया है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Oct 2019 05:54 PM (IST)Updated: Sun, 13 Oct 2019 05:54 PM (IST)
जागरण विशेष ,,, फोटो- 18,,अरबों की संपत्ति के बंटवारे में लग गए 45 साल
जागरण विशेष ,,, फोटो- 18,,अरबों की संपत्ति के बंटवारे में लग गए 45 साल

मुस्लेमीन, रामपुर: नवाब खानदान की रामपुर में अरबों रुपये की संपत्ति है। इसे लेकर परिवार में लंबे समय से विवाद चल रहा है। पहले मुंसिफ कोर्ट, फिर जिला जज और उसके बाद हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट तक मुकदमा पहुंच गया। मुकदमेबाजी में 45 साल गुजर गए। नवाब मुर्तजा अली खां और नवाब जुल्फिकार अली खां उर्फ मिक्की मियां मुकदमा लड़ते-लड़ते दुनिया को अलविदा कह गए। उनकी औलाद भी इसी मुकदमेबाजी में उलझी रही। लेकिन, दो माह पहले सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया। इसका बंटवारा इस्लामी शरीयत के हिसाब से होगा, कितु यह बंटवारा जिला जज को करना है, जिसे तय करने के लिए भी सवा साल का वक्त दिया गया है।

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नवाब खानदान में बंटवारे को लेकर 1974 में मुकदमेबाजी शुरू हुई थी। नवाब रजा अली खां की मौत के बाद उनके बड़े बेटे नवाब मुर्तजा अली खां ही संपत्ति पर काबिज हो गए थे। इसे लेकर रजा अली खां के छोटे बेटे मिक्की मियां और अन्य बेटों व बेटियों ने मुंसिफ कोर्ट में मुकदमा दायर कर दिया। इन लोगों का कहना था कि उन्हे शरीयत के हिसाब से संपत्ति बांटी जाए, जबकि मुर्तजा अली खां की ओर से तर्क दिया गया कि राजघरानों के कानून के मुताबिक राजा का बड़ा बेटा ही संपत्ति का मालिक होता है। इसी को लेकर शुरू हुआ विवाद लंबे समय तक चलता रहा। कई साल बाद मुंसिफ कोर्ट में मुकदमा तय हुआ। इसके बाद जिला जज के यहां पहुंच गया। जिला जज की कोर्ट ने फैसला सुनाया तो दूसरा पक्ष इसके विरोध में हाईकोर्ट चला गया। हाईकोर्ट में भी कई साल मुकदमा चला। यहां से तय होने के बाद देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल अगस्त में फैसला सुनाया। संपत्ति के 16 दावेदार

इस मुकदमे में मिक्की मियां की मौत के बाद उनके बेटे नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां ने पैरवी की। उनके वकील संदीप सक्सेना बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि इस्लामी शरीयत के हिसाब से संपत्ति का बंटवारा किया जाए। यह काम जिला जज को करना है। इसके लिए उन्हे दिसंबर 2020 तक का समय दिया गया है। जिला जज ने बंटवारे की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उनकी कोर्ट में कई तारीखें लग चुकी हैं। नवाब खानदान की खासबाग, लक्खी बाग, बेनजीर बाग और नवाब रेलवे स्टेशन आदि मुख्य संपत्तियां हैं। इनके अलावा गहने व शस्त्र आदि बहुमूल्य सामान है। इस सबका बंटवारा होना है। यह संपत्ति स्वर्गीय मुर्तजा अली खां की बेटी निखत बी, बेटे मुराद मियां और दूसरे पक्ष के स्वर्गीय मिक्की मियां की पत्नी पूर्व सांसद बेगम नूरबानो, उनके बेटे नवेद मियां और बेटियों समेत कुल 16 लोगों में बंटनी है। हजार करोड़ से ज्यादा की संपत्ति

नवाब काजिम अली अली खां उर्फ नवेद मियां का कहना है कि नवाब खानदान की विवादित संपत्तियों में भूमि और भवनों की कीमत करीब पांच सौ करोड़ से अधिक है, जबकि इतनी ही कीमत के शस्त्र व अन्य सामान हैं। संपत्ति का बंटवारा रामपुर रियासत के अंतिम नवाब रजा अली खां के उत्तराधिकारियों के बीच होना है। नवाबी दौर के तमाम शस्त्र कोठी खासबाग में हैं। सियासत में भी रहा दबदबा

नवाब खानदान का रामपुर की सियासत में भी दबदबा रहा है। मिक्की मियां पांच बार सांसद रहे तो उनकी पत्नी बेगम नूरबानो दो बार सांसद चुनी गईं। उनके बेटे नवेद मियां पांच बार विधायक का चुनाव जीते और प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे।


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