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महिलाओं के योगदान के बिना सुगठित राष्ट्र की स्थापना असंभव

महिलाएं आज हर क्षेत्र में अपनी काबिलियत का लोहा मनवा रहीं हैं। हर क्षेत्र में सराहनीय योगदान दे रही हैं। लेकिन इस सबके बाद भी उनकी सुरक्षा पर आज भी प्रश्नचिह्न लगा हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 05:24 PM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 05:24 PM (IST)
महिलाओं के योगदान के बिना सुगठित राष्ट्र की स्थापना असंभव
महिलाओं के योगदान के बिना सुगठित राष्ट्र की स्थापना असंभव

जागरण संवाददाता, रामपुर : राजकीय रजा स्नातकोत्तर महाविद्यालय में मिशन शक्ति के अंतर्गत महिला सुरक्षा, मार्शल आर्ट एवं कानूनी सलाह जागरूकता विषय पर ई संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

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इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. पीके वाष्र्णेय ने कहा कि भारत को विश्वगुरु के रूप में पुनस्र्थापित करने के लिए ज्ञानवान समाज का निर्माण करना बहुत आवश्यक है। यह कार्य महिलाओं के योगदान के बिना संभव नहीं है। उन्हें सशक्त बना कर ही मजबूत समाज की कल्पना की जा सकती है।

राजकीय महाविद्यालय, बिलासपुर की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.नीलिमा ने कहा कि सरकार द्वारा चलाया जा रहा यह अभियान सराहनीय है। यह महिलाओं में आत्मविश्वास जगाने का अच्छा प्रयास है। स्वयं की इच्छा शक्ति को जाग्रत कर महिलाएं अपनी भूमिका को अधिक साम‌र्थ्य प्रदान कर सकती हैं। सोच बदल कर ही समाज में बदलाव लाया जा सकता है। डॉ. अजय विक्रम सिंह ने कहा कि सृष्टि सृजन में स्त्री एवं पुरुष की समान भूमिका होती है। अत: उनमें लिग के आधार पर भेदभाव करना उचित नहीं। संचालन डा. मुजाहिद अली ने किया। डॉ. प्रवेश कुमार, डॉ. रामकुमार, डॉ. ब्रह्म सिंह आदि रहे। महिलाओं को अबला कहना गलत

रामपुर : राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना एवं रोवर्स रेंजर्स के महिला प्रकोष्ठ के तत्वाधान में कार्यक्रम किया गया। इसमें सबसे पहले बालिका सुरक्षा शपथ दिलाई गई। उसके बाद बालिकाओं की सुरक्षा, शिक्षा और उन्हें स्वालंबी बनाने के उद्देश्य से जन जागरूकता रैली निकाली गई।

इससे पूर्व, मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. रजिया परवीन ने कहा कि महिलाएं आज हर क्षेत्र में अपनी काबिलियत का लोहा मनवा रहीं हैं। हर क्षेत्र में सराहनीय योगदान दे रही हैं। लेकिन, इस सबके बाद भी उनकी सुरक्षा पर आज भी प्रश्नचिह्न लगा हुआ है। कड़ा कानून होने के बाद भी दिल दहला देने वाली घटनाएं होती रहती हैं। सबीहा परवीन, डॉ. शत्रुजीत सिंह, डॉ. नागेंद्र पाल, डॉ. अंकिता, डॉ. रजनी रानी अग्रवाल आदि ने भी विचार रखे। प्राचार्य डॉ. अतुल शर्मा ने सबका आभार व्यक्त किया।


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