धूल की आंधी में हिचकोले खाते वाहन
पनवड़िया पर निर्माणाधीन ओवरब्रिज के पास से गुजर रहे हाईवे की हालत हुई जर्जर।
जागरण संवाददाता, रामपुर: दिल्ली लखनऊ हाईवे पनवड़िया रेलवे क्रॉ¨सग पर ओवर ब्रिज का निर्माण चल रहा है। इस कारण सड़क को एक तरफ से बंद करके दूसरी ओर से वाहनों का संचालन किया जा रहा है। पनवड़िया रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण छह साल बाद भी पूरा नहीं किया जा सका है। हाईवे होने के साथ ही शहर का मुख्य मार्ग होने के कारण वाहनों की आवाजाही बनी रहने के कारण सड़क पूरी तरह से उखड़ गई है। बड़े-बड़े वाहनों के गुजरने से धूल उड़ती है। जिससे निकलना दूभर हो रहा है।
प्रशासनिक स्तर पर पनवड़िया ओवरब्रिज के निर्माण की कोई पैरवी नहीं की जा रही है। इस कारण लगातार काम में ढिलाई हो रही है, जिसका खामियाजा स्थानीय लोगों और खासकर इस साइड में आने वाले निजी स्कूलों के पांच हजार बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। अक्सर जाम और हादसों के कारण यह मार्ग खतरनाक हो चुका है, इसके बाद भी जिम्मेदार लोग आंख बंद किए हुए बैठे हैं। डॉक्टरों की माने तो धूल से कई प्रकार की बीमारियां होती है।
स्थानीय लोगों को लिए धूल से फेफड़े को नुकसान पहुंचे के साथ धूल के फेफड़े में जाने से दमघोंटू रोग हो रहे हैं। दमा सहित अन्य रोग से लोगों का परेशानी उठानी पड़ रही हैं। इस सभी समस्या से जूझ रहे स्थानीय लोगों ने कई बार मुख्यमंत्री जन सुनवाई पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज कराई, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो सका है। बीते साल जिलाधिकारी के सख्ती करने पर पीडब्ल्यूडी द्वारा सड़क का निर्माण किया जाता है लेकिन कुछ दिनों में सड़क उधड़ गई। दुकानदारों की बात धूल के कारण दुकानदार परेशान हैं, उन्हें अपनी दुकानों पर बैठना मुश्किल हो रहा है। प्रशासन को समस्या नहीं दिख रही है, धूल के कारण रोजाना कई बीमार हो रहे हैं। वीरेंद्र ¨सह सड़क पर उड़ती धूल से बचने के लिए अपनी दुकान के बाहर प्लास्टिक लगानी पड़ती है, लंबे समय से सड़क खराब होने के कारण ही सड़क पर कई दुर्घनाएं होती रहती है। राम ¨सह निर्माण को लेकर निर्माण विभाग से लेकर मुख्यमंत्री जन सुनवाई तक प्रार्थना पत्र से अवगत काराए जाने के बाद आश्वासन तो मिला मगर समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। हरप्रसाद छह साल बीतने के बाद भी ओवर ब्रिज का निर्माण नहीं हो पाया है, जिससे जाम की समस्या एवं दुर्घटनाएं होती हैं, इन हादसों में कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। भोजराम ¨सह