राज घरानों के लिए नजीर बना नवाब खानदान के बंटवारे का फैसला
राज घरानों के लिए नजीर बना नवाब खानदान के बंटवारे का फैसला
मुस्लेमीन, रामपुर: नवाब खानदान की संपत्ति के बंटवारे को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला देश के तमाम राज घरानों के लिए नजीर बन गया है। यह पहला ऐसा फैसला है जो राज परिवारों की परंपरा के खिलाफ आया है। परंपरा के मुताबिक राजघराने का बड़ा बेटा ही संपत्ति का मालिक होता रहा। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने रामपुर के नवाब खानदान के बंटवारे को लेकर फैसला सुनाया है कि शरीयत के हिसाब से संपत्ति बांटी जाए।
नवाब खानदान में खरबों रुपये की संपत्ति को लेकर 1972 से मुकदमेबाजी चल रही थी। पांच माह पहले ने फैसला सुनाया कि नवाब खानदान में बंटवारा शरीयत के हिसाब से होगा। नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां बताते हैं कि देश में आजादी से पहले राज परिवारों में बड़ा बेटा ही तमाम संपत्ति का हकदार होता था। आजादी के बाद राजशाही खत्म हो गई। लेकिन, इसके बाद भी इसी परंपरा पर चलते हुए तमाम राज परिवारों में बड़े बेटे ही संपत्ति पर काबिज होते रहे। रामपुर में नवाब रजा अली खान के तीन बेटे थे। सबसे बड़े बेटे मुर्तजा अली खान ही संपत्ति पर काबिज हो गए। इसके विरोध में परिवार के दूसरे सदस्यों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया। तर्क दिया कि जब राजशाही नहीं रही तो फिर बंटवारा उसकी परंपरा अनुसार क्यों? इस मुकदमे में 1996 में हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया, जिसमें राज शाही परंपरा की जीत हुई। इसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट में अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि शरीयत के हिसाब से बंटवारा किया जाए। नवेद मियां ने बताया कि पटौदी स्टेट, कपूरथला स्टेट, पन्ना स्टेट समेत कई राज परिवारों में बंटवारे को लेकर मुकदमे चल रहे हैं। उन परिवारों के कई सदस्यों ने हमसे संपर्क कर फैसले के बारे में जानकारी ली। मुकदमों पर पड़ेगा असर
पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता हर्ष गुप्ता ने बताया कि यह देश का पहला ऐसा फैसला है, जो राज परिवारों की परंपरा के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का देश के तमाम राज परिवारों के संपत्ति के बंटवारे संबंधी मुकदमों पर असर पड़ेगा। इन मुकदमों में यह नजीर के रूप में पेश किया जाएगा।