मारपीट के मामले में सीएमओ दोषी, प्रोबेशन पर छोड़ा
रामपुर अदालत ने 20 साल पुराने मारपीट के एक मामले में ईएसआइ (कर्मचारी राज्य बीमा निगम) अस्पताल बरेली के सीएमओ डा. बलवीर को दोषी माना है लेकिन अदालत ने उन्हें छह माह के प्रोबेशन पर छोड़ दिया।
रामपुर : अदालत ने 20 साल पुराने मारपीट के एक मामले में ईएसआइ (कर्मचारी राज्य बीमा निगम) अस्पताल बरेली के सीएमओ डा. बलवीर को दोषी माना है, लेकिन अदालत ने उन्हें छह माह के प्रोबेशन पर छोड़ दिया।
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) की अदालत ने यह फैसला शहर कोतवाली के मुहल्ला बेरियान निवासी भूतपूर्व सैनिक लईक उन नबी की ओर से दर्ज कराए परिवाद पर सुनाया है। परिवाद में उनका कहना था कि 19 अगस्त 2001 की शाम चार बजे वह नमाज पढ़कर घर जा रहे थे। सराय गेट अस्पताल रोड पर डा. बलवीर ने दो साथियों की मदद से उन्हें घेर लिया था। उनके साथ गाली-गलौज की थी। विरोध करने पर लाठी-डंडों से मारपीट की। शोर शराबे पर आए लोगों को देख धमकी देते हुए फरार हो गए थे। उन्होंने घटना की तहरीर पुलिस को दी। लेकिन, डाक्टर के प्रभाव के चलते पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया। उन्होंने जिला अस्पताल में घटना के दिन से 23 अगस्त 2019 तक भर्ती रहकर इलाज कराया था। उनकी शिकायत पर बाद में पुलिस ने सिर्फ एनसीआर दर्ज की, तब मजबूरन उन्हें अदालत में परिवाद दर्ज करना पड़ा। इस मामले में अब सीजेएम की अदालत ने फैसला सुनाया है। इस मुकदमे में उनके अलावा शफीकुर्रहमान को भी दोषी पाया है। उन्हें भी अदालत ने अधिक उम्र और बीमारी की वजह से प्रोबेशन पर छोड़ दिया। क्यों मिला है प्रोबेशन का लाभ
वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी रुद्रेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि प्रोबेशन का लाभ उन लोगों को दिया जाता है, जो समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति होते हैं। पेशेवर अपराधी नहीं होते। उनका अपराध जघन्य नहीं होता है। उनके बाहर रहने से समाज को कोई खतरा नहीं होता है या वे उम्रदराज, बीमार होते हैं। ऐसे लोगों को प्रोबेशन का लाभ मिल सकता है।