गुलअफसा ने अपनों से ही लड़ी आजादी की लड़ाई
स्वार (रामपुर) : गुलअफसा ने करीब सात माह तक अपनों से ही आजादी की लड़ाई लड़ी। उसे देर से
स्वार (रामपुर) : गुलअफसा ने करीब सात माह तक अपनों से ही आजादी की लड़ाई लड़ी। उसे देर से सोकर उठने पर पति ने तीन तलाक दे दिया था। इसके बाद उसे तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ा। शोषण के खिलाफ अपनों से जंग लड़ी और नतीजा यह हुआ कि आज उसे फिर से पति का घर मिल गया है।
अजीमनगर थाने के नगलिया आकिल गांव की गुलअफ्शा की कहानी किसी ¨हदी फिल्म से कम नहीं है। उसने गांव के ही कासिम से प्रेम विवाह करने के लिए परिजनों से बगावत कर दी थी। इसके चलते परिजनों ने मजबूरन उसका निकाह कासिम के साथ अगस्त 2017 में करवा दिया था। इसके चार माह बाद ही दिसंबर 2017 में कासिम ने देर से सोकर उठने पर उसे तीन तलाक दे दिया था। गांव के लोगों ने पंचायत की लेकिन बात नहीं बनी। इस पर गुलअफसा ने न्याय पाने के लिए पुलिस का दरवाजा खटखटाया। तब पुलिस ने घर के ताले तोड़कर ससुराल पहुंचा दिया था। इसके बाद फिर पंचायत हुई, जिसमें तय हुआ कि शरीयत का पालन करते हुए वह पहले तीन महीने 13 दिन की इद्दत करेगी और हलाला करने के बाद निकाह कराया जाएगा। गुलअफ्शा ने इद्दत पूरी कर ली, लेकिन पति निकाह करने से मुकर गया और पति घर छोड़कर भाग गया। काफी तलाश करने के बाद भी कुछ पता नहीं लग। इस पर उसने एक बार फिर पुलिस की शरण ली। पुलिस ने दहेज एक्ट का मुकदमा दर्ज करते हुए पति को गिरफ्तार करने के लिए दबाव बनाया तो एक बार फिर दोनों पक्षों के लोगों की पंचायत हुई। हलाला के बाद निकाह कराने का समझौता हुआ। वह पंचों के फैसले पर राजी हो गई। दोनों खुश हैं और रामपुर में रहकर अपना गुजर बसर कर रहे हैं। महिला का कहना है कि पति को पाने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, लेकिन अब वह बहुत खुश है।
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