दो मां और एक लाल, किसका है..10 वर्षों से यही इंतजार
ऊंचाहार (रायबरेली) : एक ओर दर्द है, दूसरी ओर खुशी भरी उम्मीद, क्योंकि दस साल बाद उस फै
ऊंचाहार (रायबरेली) : एक ओर दर्द है, दूसरी ओर खुशी भरी उम्मीद, क्योंकि दस साल बाद उस फैसले की घड़ी आई है जिसमें मासूम किसका बेटा है? यह साबित हो जाएगा। दो परिवारों का डीएनए टेस्ट कराया गया है यही साबित करने को।
क्या है मामला
प्रकरण 25 जुलाई 2008 का है। ऊंचाहार के पुरबारा निवासी लक्ष्मी नारायण मौर्य की पत्नी संतोष कुमारी को ऊंचाहार सीएचसी में रात में प्रसव हुआ था। उसी समय वहीं गंगश्री गांव निवासी अकबर अली की पत्नी तबस्सुम ने भी बेटे को जन्म दिया। अस्पताल स्टाफ ने लक्ष्मी नारायण को बताया कि उनकी पत्नी को मृत बच्चा हुआ है, लेकिन उसका कहना था कि उनका पुत्र ¨जदा है। तबस्सुम को मृत बच्चा हुआ है। आरोप लगाया कि अस्पताल स्टाफ ने साठगांठ करके बच्चा बदल दिया है। सबसे अहम बात थी कि बच्चा तबस्सुम के साथ ही रहा।
चार साल बाद दर्ज हुआ सात लोगों पर मुकदमा
सन 2012 में न्यायालय के आदेश पर कोतवाली में सीएचसी के उस समय अधीक्षक रहे डॉ.वीरेंद्र मोहन समेत स्टाफ नर्स सुनीता, आया, अकबर अली समेत कुल 7 लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई। पुलिस ने जांच शुरू की तो अकबर अली नवजात बच्चे और पत्नी समेत लापता हो गए। इस बीच न्यायालय ने उभय पक्षों का डीएनए परीक्षण करके नवजात के मातृत्व और पितृत्व के निर्धारण का आदेश दिया, लेकिन मुख्य आरोपित और नवजात का कोई सुराग नहीं लग रहा था।
बदल गए दस विवेचक
करीब दस विवेचक बदल गए। वर्तमान में विवेचना एनटीपीसी चौकी इंचार्ज एमपी ¨सह कर रहे है। उन्होंने अकबर अली को मुंबई में तलाश लिया। वह स्थान बदल-बदल कर रह रहा था। मुंबई से अकबर और तबस्सुम व मासूम अलफाज को रायबरेली लाया गया। जहां पर लक्ष्मी नारायण व उनकी पत्नी समेत सभी पांच लोगों के नमूने लिए गए। डीएनए जांच को यह विधि विज्ञान प्रयोगशाला लखनऊ भेजा गया। करीब दो माह के अंदर रिपोर्ट आ जाएगी। जिससे तय होगा कि बच्चा किसका है। उधर, लक्ष्मी नारायण का कहना है कि बच्चा उनका है। वह बच्चा मिलते ही उसका नाम हरिओम रखेंगे। यहां पर उल्लेखनीय बात यह है कि मासूम का खतना भी हो चुका है।