श्रमिक दो लाख, आवेदन आए सिर्फ नौ हजार
---प्रचार-प्रसार के अभाव में दम तोड़ रही पीएम श्रम योगी मानधन योजना
रायबरेली : वृद्धावस्था में जब शरीर मजदूरी की इजाजत न दे, उस वक्त भी श्रमिक एक-एक पैसे का मोहताज न हो। इसी मकसद से केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना चलाई। रोज कमाने खाने वालों के लिए यह योजना उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितना एक सरकारी कर्मचारी के लिए पेंशन। इसके बावजूद जिले में इसे उतना महत्व न मिला, जितने की जरूरत थी। आलम यह है कि दो लाख श्रमिकों के सापेक्ष सिर्फ नौ हजार आवेदन आए।
श्रमिकों को वृद्धावस्था पेंशन देने की योजना पिछले साल फरवरी में लागू की गई। इसके तहत असंगठित कामगारों को लाभ मिलना है। मनरेगा मजदूर, खेतिहर मजदूर, भट्ठा श्रमिक, रिक्शा चालक, मोची, कूड़ा बिनने वाले आदि पात्र हैं। आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता भी इस श्रेणी में आते हैं। पूरे जिले में ऐसे श्रमिकों की संख्या करीब दो लाख के आसपास होगी। श्रम विभाग में ही लगभग 30 हजार श्रमिक पंजीकृत हैं। एक लाख मजदूर मनरेगा के हैं। इनमें से लगभग 40 फीसद एक्टिव की श्रेणी में आते हैं। योजना का लाभ पाने के लिए आवेदन सिर्फ नौ हजार आए, वह भी 21 महीनों में। इससे साफ है कि योजना का ढंग से प्रचार-प्रसार नहीं हुआ, अन्यथा पंजीकरण के आंकड़े इतने कमजोर न होते।
क्या है योजना
इस योजना के तहत 18 से 40 वर्ष आयु तक के असंगठित श्रमिकों को लाभ दिया जाना है। इन्हें पहले योजना के लिए आवेदन करना पड़ेगा। हर महीने 55 से 200 रुपये तक मासिक प्रीमियम जमा होगा। श्रमिकों के बराबर धनराशि सरकार देगी। 60 साल तक यह किस्तें श्रमिकों के खाते से कटेंगी। इसके बाद उन्हें आजीवन तीन हजार रुपये पेंशन दी जाएगी।
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प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना श्रमिकों के लिए बड़ी लाभकारी है। इसे लेकर प्रचार-प्रसार किए गए। श्रमिकों का आवेदन कराने के लिए दूसरे विभागों को भी पत्र लिखे गए। इसके बाद भी आवेदनों की संख्या सीमित रह गई।
शंकर
सहायक श्रमायुक्त, श्रम विभाग