टकराव टालने को हुई सीएमओ की 'विदाई'
--- डीएम के पक्ष में खड़े थे प्रशासनिक अफसरों का संघ और कई संगठन --- स्वास्थ्य विभाग के तमाम कर्मचारी संघ अपने हाकिम की बने थे ढाल
रायबरेली : जिले में शायद यह पहला मौका है जब प्रशासन के मुखिया से स्वास्थ्य विभाग के मुखिया का सीधा टकराव हुआ हो। पांच दिन पहले हुए एक वाकयुद्ध के बाद दोनों ओर से विभागीय लोगों ने तलवारें तान ली थीं। कुछ सामाजिक और राजनैतिक संगठन भी इस लड़ाई में कूद पड़े थे। चौथे दिन मंडलायुक्त को भी आना पड़ा। हालात देखे, मामला समझा। फिर उसके बाद बुधवार को सीएमओ की विदाई का फरमान जारी हुआ। हालांकि, उन तक चिट्ठी पहुंचती, इससे पहले ही वह कोरोना संक्रमित हो गए।
पांच दिन चली इस रस्साकसी की शुरूआत चार सितंबर को हुई थी। वह शुक्रवार का दिन था। जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव शाम को नोडल अधिकारियों की बैठक ले रहे थे। इसी बीच किसी बात को लेकर उनका पारा चढ़ गया। उन्होंने खाल खींच कर जमीन में दफना देने की बात कह दी। जिससे आहत सीएमओ डॉ. संजय शर्मा वहां से उठे और चले गए। दूसरे दिन उन्होंने महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को पत्र लिखकर अपनी व्यथा सुनाई। फिर प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ मामले को सुलझाने आगे आया। लेकिन, संघ के तत्कालीन अध्यक्ष की चिट्ठी ने बखेड़ा खड़ा दिया। नतीजे में डॉ. अल्ताफ के हाथ से अध्यक्ष पद की कुर्सी चली गई। डॉ. एलपी सोनकर नए अध्यक्ष बने और मोर्चा संभाला। उनके साथ विभाग के दूसरे कर्मचारी संगठन भी डीएम के विरोध में साथ हो लिए। उधर, दूसरी ओर से इस लड़ाई में पीसीएस संघ डीएम की ढाल बनकर खड़ा हो गया। व्यापारी समेत कई दूसरे सामाजिक संगठन भी डीएम के पक्ष में थे। इस तरह पांच दिन तक दोनों ओर से खींचतान, आरोप प्रत्यारोप, प्रस्ताव का दौर चलता रहा। इसी बीच मंगलवार को मंडलायुक्त मुकेश मेश्राम रायबरेली पहुंचे। दोनों पक्षों को सुना और समझाने का प्रयास किया। मगर, बात न बनी। उनके यहां से वापस जाने के दूसरे दिन ही सीएमओ के तबादले का आदेश जारी हो गया।