..इस दफा प्रियंका की खामोश मिजाजी
रायबरेली ये वही प्रियंका हैं जो 1999 में कैप्टन सतीश शर्मा के चुनाव में इसी रायबरेली में
रायबरेली : ये वही प्रियंका हैं, जो 1999 में कैप्टन सतीश शर्मा के चुनाव में इसी रायबरेली में पहला भाषण दी थीं। तब उन्होंने ललकारने वाले अंदाज में यहां के लोगों से सवाल किया था.' आपके राजीव जी के पीठ में छुरा घोंपने वाले को यहां घुसने कैसे दिया'। इस तेवर को यहां के लोगों ने हाथों-हाथों समेटा और अरुण नेहरू चुनावी मैदान में ढेर हो गए थे, लेकिन गुरुवार को वही प्रियंका वाड्रा यहां आकर भी खामोश रहीं। इस चुप्पी का रहस्य कार्यकर्ता भी समझ नहीं पाए। चर्चा-ए-शोर में यह सवाल मौंजू है कि आखिर तीखा और सीधा बोलने वाली प्रियंका खामोश क्यूं रहीं।
भुएमऊ से लेकर नामांकन कक्ष तक मीडिया चाहती रही कि प्रियंका कुछ बोलें, लेकिन वे चुप रहीं। अपरान्ह लगभग दो बजे सोनिया के साथ राहुल, प्रियंका, राबर्ट नामांकन कक्ष से बाहर निकले। राहुल और सोनिया मीडिया की ओर बढ़े, लेकिन प्रियंका रुक गईं। कुछ मीडियाकर्मियों ने फोटो के लिए आग्रह किया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। राहुल जब पत्रकारों के रूबरू हो रहे थे, सोनिया के साथ प्रियंका कुछ आगे निकल कर इंतजार करने लगीं। फिर उन्होंने ही सांसद प्रतिनिधि केएल शर्मा को भेजा। जिसके बाद राहुल मीडिया को बाय-बाय करते हुए चल दिए। वही प्रियंका, जो अब तक रायबरेली और अमेठी के संगठन का प्रभार देख रही थे। वो, जिन्हें अब पूर्वांचल की जिम्मेदारी मिली है। लोकसभा चुनाव 2014 में भी जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर सवाल का जवाब अपनी नुक्कड़ सभाओं में दिया था। तब परिवार पर हो रहे हमलों पर भाजपा को कठघरे में खड़ा कर रही थीं। गुरुवार को नामांकन कक्ष में उनकी चुप्पी शायद ये कह गई कि संगठन की मुख्य कमान उनके भाई राहुल के पास है और वह उनके साथ खड़ी हैं। लोगों को उम्मीद थी कि प्रियंका भी कुछ बोलेंगी मगर..।