दिव्यांग बच्चों के शिक्षा की डोर नहीं पड़ने दी कमजोर
- विशेष शिक्षक बृजेश महामारी के दौरान घर-घर जाकर बचों को कर रहे शिक्षित
रायबरेली : कोरोना महामारी में लाडलों को संक्रमण से बचाने के लिए सरकारी और गैर सरकारी शिक्षण संस्थान बंद कर दिए गए। कोरोना की रफ्तार पर अंकुश लगने के बाद हाईस्कूल, इंटरमीडिएट समेत उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई शुरू हो गई। यही नहीं, जो विद्यालय नहीं खुले उनके छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाया जा रहा है। ऐसे में दिव्यांग बच्चों की शिक्षा पर मानो ग्रहण लग गया। विशेष शिक्षक बृजेश कुमार ने शिक्षा से वंचित हो रहे दिव्यांग बच्चों का भविष्य संवारने की ठानी। उनकी सूची तैयार की। इसके बाद घर-घर जाकर उन्हें शिक्षित कर रहे हैं। बच्चों में बढ़ा विश्वास, अभिभावकों से मिलने लगा सहयोग विशेष शिक्षक का प्रयास दिव्यांग बच्चों के अंदर आत्मविश्वास बढ़ा रहा है। इसमें अभिभावकों का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है। डीह निवासी मोहम्मद आलम बताते है कि उनका बेटा तनवीर चलने में असमर्थ है। साथ ही ठीक से बोल भी नहीं पाता है। शिक्षक बृजेश हाथों के इशारे से गिनती आदि सिखाते हैं। अब काफी सुधार हो गया है। भीरा के धर्मेंद्र के दिव्यांग बेटे उत्कर्ष, गोड़ा के अनुराग के बेटे अनुज सहित 24 से अधिक बच्चों को घर-घर जाकर पढ़ा रहे हैं। समर्थ एप से 183 बच्चों को जोड़ा
शिक्षक बृजेश यादव ने बताया कि 183 दिव्यांग बच्चों को समर्थ एप पर फीड कर लिया गया है। इन बच्चों को पूर्व में ऑन लाइन शिक्षा दे रहे थे। पिछले तीन-चार माह से घर-घर जाकर शिक्षित व प्रशिक्षित करने का कार्य कर रहा हूं। इसकी वजह से कई बच्चों में अच्छा सुधार भी देखने को मिला है। अभिभावक गतिविधियों की पुनरावृति करवाते रहते हैं।
सरकारी योजनाओं का दिला रहे लाभ
अभिभावक मो. रईस, धर्मेंद्र सिंह, बृजेंद्र कुमार, बेचूलाल, बाबूलाल, मो. आलम, अनुराग, रामकुमार ने बताया कि बच्चों के भविष्य लेकर काफी चितित थे। विशेष शिक्षक के प्रयास से बच्चों की पढ़ाई लगातार जारी है। विद्यालय में नामांकन कराने के साथ सरकार की योजनाओं का लाभ भी दिला रहे हैं।