इम्युनिटी के साथ रखिए सेंसिटिविटी का ख्याल
-आयुष काढ़ा संशमनी वटी व अणु तेल का सेवन करना लाभदायक -कोविड के लक्षण वाले मरीजों में उपयोगी साबित हो रहीं औषधियां
अंबेडकरनगर: राजकीय योग वेलनेस सेंटर आलापुर के योग प्रशिक्षक डा. ललित तिवारी बताते हैं कि कोरोना काल में बड़े पैमाने पर लोग इम्युनिटी बढ़ाने में लगे हैं। विविध खाद्य पदार्थों और औषधि युक्त काढ़े के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। योग व आयुर्वेद इम्युनिटी बढ़ाने में कारगर साबित हुआ है, पर मनुष्य को अपनी सेंसिटिविटी भी बनाए रखने पर ध्यान देने की जरूरत है।
योग प्रशिक्षक कहते हैं कि हमारा शरीर पंच तत्वों से मिलकर बना है। इनका आनुपातिक योग ही है, जिससे मनुष्य का मन एवं मस्तिष्क में संवेदी तंत्र सक्रिय रहते हैं। इन्हीं संवेदी तंत्रों के कारण हमें शीत, धूप, पीड़ा, व्यथा और वेदना आदि का एहसास होता है। भागदौड़ भरी जिदगी में हम अपने शरीर के प्राकृतिक स्वरूप को नजरअंदाज करते आए। इसी का परिणाम है कि आज समस्त जीवों में सबसे निम्न स्तर की इम्युनिटी इंसान की होती जा रही है। इसके पीछे इंसान का असंवेदनशील होना है। जरा सी ठंड का एहसास होने पर हम शरीर गर्म करने के लिए तुरंत औषधियों का सेवन करते हैं, जबकि ठंड का एहसास हमें इशारा करता है कि हम अपने शरीर को विश्राम दें। ऐसा न करके हम अपने शरीर को जबरन काम के लिए तैयार कर लेते हैं। इससे हमारे संवेदी तंत्र कमजोर होते जाते हैं, और आगे चलकर भयानक परिणाम देखने को मिलता है।
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योग देता रोग से लड़ने की ताकत: योग और आयुर्वेद के प्रभाव से जहां रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद मिल रही है, वहीं संवेदनशीलता का भी विकास होता है। आवश्यकता है, अनवरत योग व प्राणायाम करने की। क्षेत्रीय आयुर्वेदिक यूनानी अधिकारी डा. उमाकांत गिरि ने बताया कि आयुर्वेद के सभी चिकित्सालयों पर आयुष काढ़ा, आयुष 64 टेबलेट संशमनी वटी और अणु तेल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। कोविड के लक्षण वाले मरीजों में बड़े पैमाने पर इन औषधियों के वितरण के लिए चिकित्सा प्रभारियों को निर्देश दिया गया है। इन औषधियों से हर तरह के बुखार नजला आदि को नियंत्रित किया जा सकता है। इनका कोई साइड इफेक्ट नहीं है।