कूड़ा निस्तारण प्लांट में सुलग रहा कचरा, धुएं से प्रदूषित आबोहवा
- आठ महीने से बंद हैं प्लांट की मशीनें चारो ओर लगा कूड़े-कचरे का ढेर
रायबरेली : हवा जहरीली न हो। इसके लिए खेतों में पराली जलाने पर सरकार सख्त है। यहां तक सेटेलाइट की मदद से ऐसे लोगों को तलाश किया जा रहा है, जो हवा में प्रदूषण बढ़ा रहे हैं। पराली जलाने वाले किसानों को भी सरकार के सख्त तेवर का सामना करना पड़ रहा है। यहां तक कि पकड़े जाने जुर्माना और कानूनी कार्रवाई तक की जा रही है। वहीं गंदगी से घिरे कूड़ा निस्तारण प्लांट में कई दिनों से कचरा सुलग रहा है। इसे कोई देखने वाला नहीं है। आसपास की आबोहवा दिनोंदिन जहरीला होती जा रही है। आठ महीने से बंद पड़े प्लांट को लेकर जिम्मेदार सिर्फ तमाशबीन बने हुए हैं। इसके लगाने का उद्देश्य शहर को स्वच्छ रखने का था। वहीं अब स्थानीय लोग अब छुटकारा चाह रहे हैं।
वीरान पड़ा प्लांट, कचरा फेंक चले जाते कर्मी
सभासद संजय सिंह का कहना है कि प्लांट कई महीनों से बंद है। अब तो यहां पर कर्मी भी नहीं दिखाई देते हैं। कर्मचारी कूड़ा वाहन से आकर कचरा फेंक चले जाते हैं। स्थानीय शिवकुमार, विनय का कहना है कि बारिश में संक्रामक रोग फैलने का खतरा रहता है। मौसम कोई भी हो आसपास के घरों में बेहिसाब मक्खियां हो गई हैं। इतना ही नहीं प्लांट में कचरा कम करने के लिए आग तक लगा दिया जाता है। इससे सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।
सरकारी धन का बंदरबांट, जिम्मेदार खामोश
प्लांट निर्माण से लेकर अब तक के संचालन में सरकारी धन का खूब बंदरबांट हुआ। कहने के लिए भले ही आठ महीने से प्लांट बंद है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। करीब तीन साल से अव्यवस्था है। बिजली बिल नहीं जमा करने पर कनेक्शन विच्छेद तो कभी प्लांट में तकनीकी खामी के कारण बंद हो गया।
कूड़ा निस्तारण की कार्ययोजना पर एक नजर
वार्ड की संख्या -- 34
जनसंख्या -- 2.25 लाख
परियोजना का नाम -- सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट परियोजना
परियोजना की लागत -- 7.37 करोड़
उपलब्ध भूमि -- 9.50 एकड़
अनुबंध अवधि -- 30 साल
प्लांट में स्थापित मशीन -- 12
कूड़ा ढोने के वाहन -- 30
प्रतिदिन उत्पन्न कचरा-- 60 से 70 मीट्रिक टन
अप्रैल से प्लांट बंद है। पालिका से पत्र शासन को भेजा जा चुका है। शासन के दिशा-निर्देश मिलने का इंतजार है। कूड़ा बिनने वालों द्वारा आग लगाने की हरकत की जाती है। फिलहाल यदि किसी ने ऐसा किया है तो जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।
डॉ. आशीष कुमार सिंह, अधिशासी अधिकारी, नगर पालिका परिषद