लॉकडाउन में लड़खड़ाए उद्योग जगत को अब बिजली दे रही झटके
पुरानी जर्जर लाइनें इंडस्ट्रीज एरिया की करीब 70 फैक्ट्रियों के लिए बन गई मुसीबत
रायबरेली : लॉकडाउन में लड़खड़ाए उद्योग जगत के कदम अभी पूरी तरह से सधे नहीं थे कि बिजली ने झटके देने शुरू कर दिए। यहां हर रोज आठ से 10 ट्रिपिग होनी तो तय है। फॉल्ट में घंटों आपूर्ति बाधित रहे वह अलग। हवा के जरा सा रफ्तार पकड़ते ही सप्लाई बंद कर दी जाती है। कहीं बारिश हो गई तो फिर घंटों बत्ती गुल।
शहर में सुल्तानपुर और अमावां रोड दो जगह इंड्रस्टी एरिया है। यहां छोटे-बड़े मिलाकर करीब एक सैकड़ा उद्योग लगे हैं। लेकिन, मौजूदा समय में इनमें से 30 फीसद उद्योग किसी न किसी कारण से बंद पड़े हैं। अन्य 70 उद्योग तमाम समस्याओं से घिरे हुए हैं। इनमें सबसे बड़ी दिक्कत बिजली की है। जिससे हर उद्यमी इससे परेशान है। हालांकि, सभी ने विकल्प के तौर पर जनरेटर का इंतजाम कर रखा है। लेकिन, कटौती और ट्रिपिग से होने वाले नुकसान को रोकने में यह प्रयास कारगर साबित नहीं हो रहा है। उद्योग बंधु की हर बैठक में यह मुद्दा उठता। आदेश-निर्देश जारी होते हैं। मगर, उन पर अमल नहीं होता।
क्या कहते हैं उद्यमी
बिजली की लाईनें काफी पुरानी और जर्जर हो गईं हैं। जिन्हे बदलवाया नहीं जा रहा है। दिन भर में आठ से 10 ट्रिपिग तो होनी ही है। हर ट्रिपिग में कुछ न कुछ नुकसान उठाना पड़ रहा है।
-अविचल खुबेले, अध्यक्ष, रायबरेली इंडस्ट्रीज एसोसिएशन बिजली के तार इतने ढीले हैं कि जरा ही तेज हवा में ही वह आपस में टकरा जाते हैं। आए दिन टूटते भी रहते हैं। व्यवस्था सुधारने का प्रयास नहीं हो रहा। बल्कि जरा सी भी तेज हवा चलने पर आपूर्ति बंद कर दी जाती है।
-वाईके गुप्ता,उद्यमी बिजली आती तो है, लेकिन ब्रेकडाउन बहुत होते हैं। हर ट्रिपिग के बाद आपूर्ति शुरू होने में 10 से 15 मिनट लगते हैं। इससे उत्पादन प्रभावित होता है। एकाएक मशीनों के रुक जाने से कच्चे माल का नुकसान भी उठाना पड़ता है।
-पीएन खुबेले, उद्यमी जब इंड्रस्टी एरिया बसा तब की बनी हुई बिजली की ये लाईनें हैं, जो पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। बड़े पैमाने पर सुधार की जरूरत है। जिसकी तरफ अब तक कोई ध्यान नहीं दिया गया।
-मो. अख्तर, उद्यमी कोट
उपलब्ध संसाधनों में बिजली आपूर्ति व्यवस्था को बेहतर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। अभियंताओं को भी निर्देश दिए गए हैं कि उद्यमियों की समस्याओं का तत्काल निस्तारण करें।
-ओपी सिंह, एक्सईएन, विद्युत वितरण खंड प्रथम