थोक में पौधारोपण महज खानापूरी, रोपें चुनिदा पौधे
बोले वनस्पति शास्त्री धरा को हरा भरा करने के लिए महज कागजी कोरम से नहीं चलेगा काम
रायबरेली : 40 लाख पौधे इस बार रोपे जाने हैं। नर्सरी में पौधों की खेप तैयार है। सरकारी विभागों को उनका लक्ष्य दे दिया गया है। वन विभाग दावा करता है कि तीन साल में इनमें से 65 फीसद पौधे सुरक्षित रहते हैं। मगर, वनस्पति विज्ञान के ज्ञाता इसे नहीं मानते। उनका कहना है कि थोक में रोपे जाने वाले पौधे जीवित नहीं बच पाते। इसके लिए मजबूत प्लानिग होनी चाहिए। एक माह पहले से तैयारी की जानी चाहिए। तभी धरा हरी भरी होगी।
बारिश का मौसम है। पौधारोपण के लिए शासन ने लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। महाअभियान शुरू होने वाला है। मगर, इस बीच ये चर्चा आम है कि क्या जो 40 लाख पौधे रोपे जाएंगे, इनको सुरक्षित रखने के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। मसलन वन क्षेत्र में तो सरकारी कर्मचारी निगरानी करेंगे लेकिन, गांव देहात और सड़क किनारे जो पौधे लगेंगे, उन्हें बेसहारा मवेशियों से कौन बचाएगा। इसका सटीक उत्तर फिलवक्त तो कोई नहीं दे रहा है। जिम्मेदार कह रहे हैं कि हम 65 फीसद पौधों को पेड़ का स्वरूप देने में कामयाब रहेंगे। इसके उलट, वनस्पति शास्त्री का तर्क कुछ अलग है।
समूह बनाएं, फायदा दें तब बने बात
फीरोज गांधी डिग्री कॉलेज में वनस्पति विज्ञान के एचओडी डॉ. अनिल कुमार कहते हैं कि पौधारोपण के लिए एक माह पहले से तैयारी करनी चाहिए। गांव में ऐसे लोगों का समूह बनाना चाहिए जो पौधा रोपने में रुचि रखते हैं। वहां फलों की बाग लगानी चाहिए। जिससे जब फल तैयार हों, तो इनको आर्थिक लाभ हो। इन्हीं के बीच नीम, शीशम, सागौन आदि पौधे लगाने चाहिए। जिसका फायदा सरकार ले। जब लोगों को फायदा होगा तो वे ज्यादा जिम्मेदारी से पौधों की सुरक्षा करेंगे। ऐसे ही स्कूल, कॉलेजों को लक्ष्य देने के साथ ही उन्हें समय-समय पर प्रोत्साहित करते रहना चाहिए। वैज्ञानिकों की एक टीम भी होनी चाहिए जो इन पौधों के पुष्प पल्लवित होने पर नजर रखे, सलाह और सुझाव दे। सिर्फ थोक में पौधारोपण करने भर से हरियाली नहीं आने वाली।