कण-कण गाता, गण तंत्र की गौरव गाथा
रायबरेली देश को आजादी दिलाने के लिए हमारे पूर्वजों ने अपना जीवन बलिदान कर दिया और हमार
रायबरेली : देश को आजादी दिलाने के लिए हमारे पूर्वजों ने अपना जीवन बलिदान कर दिया और हमारे आज को सुंदर व सुरक्षित करने के लिए उन्होंने अपने आज को अंग्रेजी हुकूमत से संघर्ष में होम कर डाला। 1857 में क्रांति की ज्वाला जली तो देश को आजादी दिलाकर ही यहां के सपूतों ने दम लिया। एक-दो नहीं सैकड़ों की संख्या में भारत मां की बलिवेदी पर यहां के वीरों ने अपना लहू अर्पित कर इतिहास लिख डाला तो आजादी के बाद भी जब भी जरुरत पड़ी रायबरेली ने गण तंत्र की ताकत दिखाने में खुद को पीछे नहीं रखा। गणतंत्र दिवस की पावन बेला पर रायबरेली का कण-कण, गण तंत्र की गौरव गाथा की अमर कहानी गा रहा है।
रायबरेली जिले के किसानों की वीरता की कहानी अब भी सई नदी के बहते पानी के साथ यहां घर-घर सुनाई पड़ती है। मुंशीगंज शहीद स्मारक के करीब सई नदी का टूटा पुल आज भी किसानों के बलिदान की गवाही दे रहा है। 1921 की सात जनवरी का दिन रायबरेली ही नहीं देश के इतिहास में अमर है। इसी दिन अंग्रेजी फौज ने एक दो नहीं सैकड़ों की संख्या में भारत के अमर सपूतों को गोलियों से भून दिया था। सलोन के करहिया का शहीद स्थल आज भी नई पीढ़ी को बलिदान की अमर गाथा समझा रहा है। स्मारक उसी स्थान पर बना है, जहां 1921 में 20 मार्च को किसानों पर गोलियां दागी गई थी। दौलतपुर पनवारी में 13 जुलाई 1931 को शहादत दी गई तो सरेनी में 18 अगस्त 1942 को वीरों ने अपनी जान की कुर्बानी दी।
18 माह तक अंग्रेजों के कब्जे से मुक्त रहा रायबरेली
1857 में भी अमर सपूत राना बेनीमाधव बक्स सिंह ने अपने युद्ध कौशल से जिले को 18 माह तक (जून 1857 से नवंबर 1858 तक) गुलामी की जंजीरों से मुक्त रखा। हजारों सैनिकों के साथ अंग्रेजी हुकूमत का लोहा लिया। भीरागोविदपुर और सेमरी में युद्ध लड़कर अंग्रेजी सेना को परास्त किया। फर्ज है हमारा सपूतों का सम्मान करना
हमें वीर सपूतों पर गर्व है। रायबरेली की माटी में देश के लिए बलिदान देने वालों का लहू मिला है। इस मिट्टी का सम्मान करना सभी का फर्ज है। राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस पर हम सब घुल मिलकर रहने का संकल्प लें। आपसी भाईचारा बनाए रखें और एक दूसरे की मदद भी करें।
श्लोक कुमार, पुलिस अधीक्षक
धरोहर को संजोएंगे हम
आजादी व गणतंत्र से जुड़ी धरोहर को बचा के रखने व उससे प्रेरणा लेने की चाहत सभी के मन में होनी चाहिए। प्रशासनिक स्तर पर हम धरोहरों को संरक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं।
वैभव श्रीवास्तव, जिलाधिकारी