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दरकार एक तिहाई की, हकीकत में महज छह फीसद वन क्षेत्र

लगातार पौधारोपण का लक्ष्य बढ़ाने के बावजूद वन आछादित क्षेत्र का दायरा सीमित आबादी के अनुरूप एक व्यक्ति दो पौधे रोपे तभी बदल सकती है जिले की आबोहवा

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Jun 2020 11:35 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jun 2020 11:35 PM (IST)
दरकार एक तिहाई की, हकीकत में महज छह फीसद वन क्षेत्र
दरकार एक तिहाई की, हकीकत में महज छह फीसद वन क्षेत्र

रायबरेली : बारिश का मौसम आ गया है। इसी मौसम में सबसे ज्यादा पौधे रोपे जाते हैं। इस बार कोरोना के चलते सुरक्षा नियमों के साथ ही पौधारोपण होना है। जिससे तय लक्ष्य 40 लाख पौधों को रोपना एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में 34 लाख से ज्यादा आबादी वाले जनपद में अगर एक व्यक्ति दो पौधे लगाने का लक्ष्य बना ले तो हालात काफी हद तक सुधर सकते हैं।

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पूरे जिले की बात करें तो यहां वन आच्छादित क्षेत्र 3905.06 हेक्टेयर है। इसी में से 960 हेक्टेयर में कुल 40 लाख पौधे रोपे जाने हैं। ग्राम समाज की जमीन अतिरिक्त है, जिन्हें भी पौधरोपण के लिए संबंधित विभागों द्वारा तैयार किया जा रहा है। पिछले साल 34 लाख और उसके पहले 15 लाख पौधे रोपने का दावा किया गया। वन विभाग के आंकड़ों की मानें तो पहले साल 90, दूसरे साल 70 और तीसरे साल 65 फीसद पौधे जीवित रहते हैं। यही एक औसत लक्ष्य होता है। जो पूरा भी हो रहा है। बावजूद इसके, वन आच्छादित क्षेत्र की बात करें तो यह संपूर्ण भू-भाग का महज छह फीसद ही है। जबकि इसे 33 फीसद यानी संपूर्ण भू-भाग का एक तिहाई होना चाहिए। लाख कोशिशों के बावजूद हम इस लक्ष्य से काफी पीछे हैं। ये तभी संभव हो सकता है जब आम आदमी भी अपने कर्तव्यों को समझे और पौधारोपण में संपूर्ण भागीदारी करे। वन विभाग उन्हें निश्शुल्क पौधे देने को तैयार है, बस जरूरत है आगे आने की।

किसानों पर निर्भरता ज्यादा

जनपद के 2.81 लाख किसान वन विभाग में पंजीकृत हैं। इनकी जिम्मेदारी तय की गई है कि ये एक-एक पौधा जरूर रोपेंगे। यही नहीं, अगर अन्नदाता चाहे तो अपनी क्षमता के अनुसार विभाग से पौधे लेकर अपनी जमीनों पर लगा सकते हैं। मगर, उन पौधों की निगरानी उन्हें ही करनी होगी।

कोट

वन आच्छादित क्षेत्र को बढ़ाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। हमारा सबसे ज्यादा फोकस पौधारोपण पर है। इसके लिए वृहद स्तर पर तैयारियां कर ली गईं। हम अपने लक्ष्य को पूरा कर लेंगे।

-तुलसीराम शर्मा, प्रभागीय वनाधिकारी


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