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ईओ पर भारी पड़े अध्यक्ष, नगर पालिका से छुट्टी

लंबे अरसे से पालिका में चल रहे खींचतान का आखिरकार पटापेक्ष हो गया

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 12:16 AM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 12:16 AM (IST)
ईओ पर भारी पड़े अध्यक्ष, नगर पालिका से छुट्टी
ईओ पर भारी पड़े अध्यक्ष, नगर पालिका से छुट्टी

रायबरेली : लंबे अरसे से पालिका में चल रहे खींचतान का आखिरकार पटापेक्ष हो गया। नाटकीय घटनाक्रम में अध्यक्ष ने शासनादेश का हवाला देते हुए ईओ को कार्यमुक्त कर दिया। साथ ही उनकी जगह कर अधीक्षक को ईओ का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया। साथ ही शासन को पत्र भी भेज दिया है। वहीं तत्कालीन ईओ ने इस कदम को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं।

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नगर पालिका परिषद अध्यक्ष पूर्णिमा श्रीवास्तव सोमवार को पत्रकारों से रूबरू हुई। कहा कि शासन द्वारा लोकसेवा आयोग में अनुभाग अधिकारी बालमुकुंद मिश्र को प्रतिनियुक्ति पर पूर्णकालिक व्यवस्था होने तक अस्थायी रूप से ईओ पद पर तैनात किया गया था। 27 फरवरी 2019 को कार्यभार ग्रहण कराते हुए सूचना शासन को भेज दी गई थी। पुन: नगर विकास अनुभाग-4 द्वारा चार मई 2020 के द्वारा अगले एक वर्ष तक बढ़ा दिया गया था। इसके बाद से एक वर्ष का कार्यकाल 26 फरवरी 2021 को पूरा हो गया। इसके बाद आगे को लेकर शासन स्तर से कोई पत्र नहीं मिला। इसके कारण असमंजस की स्थिति बनी हुई है। साथ ही विकास कार्य भी प्रभावित हो रहा है। कार्यकाल समाप्त हो जाने के कारण कार्य लेना संभव नहीं है। इसी क्रम में उन्हें कार्यमुक्त करते हुए कर अधीक्षक दिलीप कुमार को अस्थायी व्यवस्था के तहत जिम्मेदारी सौंपी गई है।

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कई महीनों से शह-मात का खेल

शायद यह नगर पालिका में पहली बार हुआ है कि अध्यक्ष द्वारा ऐसी कार्रवाई की गई हो। भले ही यह कदम अब उठाया गया हो, लेकिन शह-मात का खेल अध्यक्ष और तत्कालीन ईओ के बीच काफी समय से चल रहा था। कई मामलों में अध्यक्ष ने सहमति दी, तो तत्कालीन ईओ द्वारा असहमति जताई और फाइल तक को लौटा दिया। इसकी जानकारी जिले के आला अफसरों तक को हो गई थी। बोले, चेयरमैन को नहीं अधिकार

तत्कालीन अधिशासी अधिकारी बाल मुकुंद मिश्र ने कहा कि मेरी प्रतिनियुक्ति शासन द्वारा की गई है। मुझे रखने अथवा हटाने का अधिकार शासन को है। नगर पालिका परिषद के चेयरमैन को अधिकार नहीं है। चेयरमैन द्वारा जो आदेश जारी किया गया है। नितांत आपत्तिजनक, अविधिक और असंवैधानिक है।


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