देवोत्थानी एकादशी पर पूजन-अर्चन, मांगलिक कार्य शुरू
- महिलाओं ने विधि-विधान से किया तुलसी पूजन
रायबरेली : देवोत्थानी एकादशी जिले भर में धूमधाम से मनाई गई। घरों में विधि-विधान से तुलसी पूजन किया गया। इसके बाद महिलाओं ने प्रसाद बांटा। इसके साथ ही मांगलिक कार्य भी शुरू हो गए।
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थानी एकादशी कहते हैं। इसे प्रबोधिनी व देव उठनी एकादशी के नाम से भी पुकारते हैं। सनातन धर्म पीठ बड़ा मठ के महामंडलेश्वर स्वामी देवेंद्रानंद गिरि ने बताया कि आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से देवता चार माह तक शयन करते हैं। इस बीच हिदू धर्म में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। देवता चार माह के बाद कार्तिक, शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन उठते हैं, इसीलिए इसे देवोत्थान (देव-उठनी) एकादशी कहा जाता है। इस दिन लोग तुलसी और सालिग्राम का विवाह भी कराते हैं।
सूप बजाने का है रिवाज
देवोत्थानी एकादशी की रात महिलाएं गन्ने के छोटे डंडे से सूप बजाकर मां लक्ष्मी का आह्वान करती हैँ। मान्यता है कि सूप बजाकर मां लक्ष्मी व भगवान विष्णु का आह्वान करने से धन, वैभव की प्राप्ति होती है।
सजे पंडाल, सतर्कता बरती तो कहीं नियम दरकिनार
मांगलिक कार्य शुरू होने के साथ ही पहले दिन शहर से लेकर गांव तक शादी समारोहों की धूम रही। शासन से सौ की संख्या निश्चित किए जाने के बाद दोनों पक्ष सतर्क हो गए। इस दौरान कई जगह पंडाल सूने रहे। लोग शारीरिक दूरी बनाकर एक-दूसरे से बात करते नजर आए। वहीं कुछ जगहों पर नियम दरकिनार दिखे।
इस बार नहीं लगेगा मेला रायबरेली : गोकना, तीर का पुरवा खरौली, बादशाहपुर और गोलाघाट पर कार्तिक पूर्णिमा पर मेले का आयोजन होता है, जिसमें फतेहपुर, प्रतापगढ़ के लोग भी आते हैं। एसडीएम केशवनाथ गुप्त ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण इस वर्ष मेले का आयोजन नहीं किया जाएगा। बाहर से आने वाले वाहनों को सीमा पर रोककर वापस किया जाएगा। प्रशासन के इस निर्णय से दुकानदार मायूस हो गए।