एम्स की ओपीडी में बढ़े मरीज, 350 मरीजों को भर्ती कर किया उपचार
रायबरेली एम्स में मरीजों को आशानुरूप उपचार का लाभ मिलने लगा है।
रायबरेली: एम्स में मरीजों को आशानुरूप उपचार का लाभ मिलने लगा है। प्रतिदिन औसतन 900 रोगी चिकित्सीय सुझाव लेने यहां आ रहे हैं। अब तक 350 मरीजों को भर्ती कर इलाज के बाद उन्हें डिस्चार्ज किया जा चुका है। अभी भी करीब 30 रोगी यहां भर्ती हैं। गुरुवार को जागरण टीम ने एम्स में चिकित्सीय व्यवस्था की पड़ताल की है। पेश है रिपोर्ट..
सुबह 10 बजे रजिस्ट्रेशन काउंटर पर भीड़ नजर आई। कुछ ही देर में पंजीकरण कराने वाले संबंधित विभागों में चले गए। इसके बाद इक्का-दुक्का लोग ही पंजीकरण कराने या फिर पर्चे में तारीख लिखवाने के लिए काउंटर तक गए। 11 बजे न्यूरोलाजी विभाग में खासा भीड़ दिखी। न्यूरो फिजीशियन डा. अर्चना वर्मा तब तक 32 मरीज देख चुकीं थीं। 11.30 बजे भूतल में एमआरआइ, सीटी स्कैन और एक्सरे कराने के लिए लोग बैठे मिले। कर्मचारियों ने बताया कि भीड़ को देखते हुए मरीजों को दो से तीन दिन में बुला लिया जाता है। एमआरआइ के लिए भी ज्यादा वेटिग नहीं दी जाती है। भूतल में फिनिशिग का काम हो रहा था। अपरान्ह 12.30 बजे तक अधिकांश विभागों में पांच से दस लोग ही इलाज के लिए कतार में लगे मिले। मधुपुरी से आईं रामदुलारी ने बताया कि डाक्टर बहुत अच्छे से बात करते हैं। बहुत कम दवाएं लिखी जाती हैं और फायदा भी जल्दी मिल रहा है।
सिक्योरिटी गार्ड बने गाइड
एम्स हास्पिटल में कौन सा विभाग किस माले पर और कहां है, अगर आपको इसकी जानकारी नहीं है तो परेशान न होइए। एम्स में तैनात सिक्योरिटी गार्ड अपनी ड्यूटी करने के साथ ही गाइड की भूमिका भी निभा रहे हैं। वे मरीजों को संबंधित विभाग तक पहुंचने में मदद कर रहे हैं। खुल गए हैं ये विभाग
जनरल मेडिसिन, पीडियाट्रिक (बाल रोग विभाग), आर्थोपेडिक (हड्डी रोग विभाग), आप्थल्मोलाजी (नेत्र रोग विभाग) , ईएनटी (नाक, कान और गला रोग विभाग), गाइनकोलाजी (प्रसूति रोग विभाग), जनरल सर्जरी, डेंटल, डरमेट्रोलाजी (त्वचा संबंधी), साइकियाट्रिक (मनोरोग), यूरोलाजी (मूत्र रोग विभाग), न्यूरोलाजी, फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन की ओपीडी शुरू हो चुकी है। कार्डियोलाजी, नेपरोलाजी और आंकोलाजी यानी कैंसर रोग विभाग भी यहां जल्द खोले जाने हैं। वर्जन
ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ रही है। आइपीडी में मरीजों की अच्छे से देखरेख की जा रही है। कैंसर रोग विभाग के लिए फैकल्टी का इंतजार है।
समीर शुक्ल, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी