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कोविड फैसिलिटी सेंटर नहीं, महिला अस्पताल में ही होगा प्रसव

- तीसरी लहर आने पर गर्भवती को डिलीवरी के लिए नहीं करनी पड़ेगी दौड़भाग - 152 बेड पर प्राणवायु डीआरडीओ लगा रहा 500 एलपीएम का ऑक्सीजन प्लांट

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 12:19 AM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 12:19 AM (IST)
कोविड फैसिलिटी सेंटर नहीं, महिला अस्पताल में ही होगा प्रसव
कोविड फैसिलिटी सेंटर नहीं, महिला अस्पताल में ही होगा प्रसव

रायबरेली : महामारी की तीसरी लहर से निपटने के लिए महिला अस्पताल को तैयार किया जा रहा है। गर्भवती के लिए ग्राउंड फ्लोर (भूतल) पर ही कोरोना वार्ड बना दिया गया है। ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए प्लांट लग रहा है, पाइप लाइन बिछाने का काम भी अंतिम चरण में है।

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कोरोना की पहली और दूसरी लहर आने पर महिला अस्पताल का स्टाफ मुस्तैदी से डटा रहा। गंभीर केस आने पर गर्भवती की यहीं पर डिलीवरी कराई गई, उसके बाद उन्हें दूसरी जगह शिफ्ट किया गया। बहुत कम मामले ही एल-टू या फिर एल-थ्री हॉस्पिटल रेफर किए गए। तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर यहां खास तैयारियां की जा रही हैं। कोविड मरीजों के लिए अलग से दस बेड का वार्ड बनाया गया है। इसमें प्रवेश और निकास द्वार अलग-अलग बनाए गए हैं ताकि संक्रमित के तीमारदारों का संपर्क दूसरे लोगों से न होने पाए।

यहां सदर विधायक अदिति सिंह की निधि से 50 लाख खर्च करके ऑक्सीजन की पाइप लाइन बिछाई जा रही है। अस्पताल में कुल दो सौ बेड हैं, जिनमें से 152 पर प्राणवायु की उपलब्धता रहेगी। डीआरडीओ ने पांच सौ लीटर प्रति मिनट (एलपीएम) का ऑक्सीजन प्लांट दिया है, जिसे लगाने का काम एनएचएआइ कर रही है। ये कार्य भी इसी माह पूरा होने की उम्मीद है।

सारी सुविधाएं नए भवन में महिला अस्पताल के नए भवन में ही सारी सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं। गर्भवती को भर्ती करना हो या फिर नवजात को उपचार के लिए एसएनसीयू (सिक न्यू बार्न केयर यूनिट) में रखना हो। डॉक्टर और स्टाफ को कोरोना से निपटने के लिए प्रशिक्षण दिया जा चुका है। कोरोना की पहली लहर आने के बाद से ही यहां पर विशेष एहतियात बरती जा रही है। गर्भवती के साथ सिर्फ एक ही तीमारदार को आने की छूट दी जा रही है।

वर्जन,

इस बार हमने दस बेड का कोविड वार्ड भी बनाया है। गर्भवती अगर संक्रमित होती है तो डिलीवरी कराने के बाद उसे इसी वार्ड में भर्ती किया जाएगा। कोशिश रहेगी कि मरीजों को दूसरे अस्पतालों में रेफर न करना पड़े।

डॉ. रेनू चौधरी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक


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