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गांधी सेवा निकेतन में इधर निरीक्षण, उधर बवाल

गांधी सेवा निकेतन में पांचवें दिन भी माहौल खराब रहा। छात्र और शिक्षक के बीच तनाव का माहौल बना हुआ है। प्रबंधक संस्थान बचाने में जुटे हैं तो प्रशासन ने जांच दर जांच करके मामला साफ कर दिया है। अव्यवस्था और हंगामे के बीच शुक्रवार को बाल संरक्षण आयोग की सदस्य भी हालात का जायजा लेने पहुंची। वे जैसे ही बच्चों से बात करके निकलीं छात्रों ने फिर तोड़फोड़ शुरू कर दी। मामले में पुलिस और अफसरों को दखल देना पड़ा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Nov 2019 10:33 PM (IST)Updated: Sat, 16 Nov 2019 06:09 AM (IST)
गांधी सेवा निकेतन में इधर निरीक्षण, उधर बवाल
गांधी सेवा निकेतन में इधर निरीक्षण, उधर बवाल

रायबरेली : गांधी सेवा निकेतन में पांचवें दिन भी माहौल खराब रहा। छात्र और शिक्षक के बीच तनाव का माहौल बना हुआ है। प्रबंधक संस्थान बचाने में जुटे हैं तो प्रशासन ने जांच दर जांच करके मामला साफ कर दिया है। अव्यवस्था और हंगामे के बीच शुक्रवार को बाल संरक्षण आयोग की सदस्य भी हालात का जायजा लेने पहुंची। वे जैसे ही बच्चों से बात करके निकलीं, छात्रों ने फिर तोड़फोड़ शुरू कर दी। मामले में पुलिस और अफसरों को दखल देना पड़ा।

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दरअसल शहर से लगभग आठ किमी दूर मिल एरिया थाना क्षेत्र के देवानंदपुर में अनाथ बच्चों की परवरिश के लिए गांधी सेवा निकेतन की स्थापना हुई थी। यहां लंबे समय से बाल कल्याण अधिकारी ममता दुबे व प्रबंध तंत्र के मध्य विवाद चल रहा था। पूर्व जिलाधिकारी नेहा शर्मा तक मामला पहुंचा था। उसके बाद प्रबंधक को हिदायत देकर मामले को शांत करा दिया गया था। लेकिन जिलाधिकारी का तबादला होते ही वहां हालात बेकाबू हो गए। बीते सोमवार को छात्रों ने ममता को पीट दिया। वीडियो वायरल हुआ। उसके बाद शिक्षक ने छात्रों को पीटा। मुकदमा दर्ज हुआ और गुरु जी जेल गए। मामले ने तूल पकड़ा, अफसरों को हस्तक्षेप करना पड़ा। पहले चक्र में जांच और पड़ताल के बाद प्रशासन ने संस्था को हटाने के लिए पत्र भेजा। इधर, बाल कल्याण निदेशालय से डॉ. शुचिता चतुर्वेदी आयीं। उन्होंने हालात देखे और हकीकत जानी।

इनसेट--टूथब्रश न शैंपू बच्चों के बाथरूम में सिर्फ एक साबुन था। टूथब्रश था न शैंपू और तेल। टूथपेस्ट भी दोयम दर्जे का। जिस पर बाल संरक्षण आयोग की सदस्य ने नाराजगी जताई। बताया कि सभी बच्चों को अलग-अलग ये सभी चीजें देनी चाहिए। ---बच्चों को मानसिक रूप से विकलांग किया जा रहा है। ऐसे गृह बंद होने चाहिए। सरकार संवदेनशील है और उसे अराजकता कतई स्वीकार नहीं होगी। यह तल्ख टिप्पणी बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता की थी जिसे सरकारी विज्ञप्ति में बताया गया।


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