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रायबरेली सीट पर कभी कमल खिला न ही चली साइकिल

रायबरेली रायबरेली विधानसभा सीट। यहां 1952 से लेकर अब तक कांग्रेस का भी कब्जा रहा

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 11:59 PM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 11:59 PM (IST)
रायबरेली सीट पर कभी कमल खिला न ही चली साइकिल
रायबरेली सीट पर कभी कमल खिला न ही चली साइकिल

रायबरेली : रायबरेली विधानसभा सीट। यहां 1952 से लेकर अब तक कांग्रेस का भी कब्जा रहा। यहां भाजपा, सपा और बसपा ने कोशिशें तमाम की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। 1989 में जनता दल से अशोक कुमार सिंह ने चुनाव जीतकर कांग्रेस के विजय रथ को रोका। वह दो बार इस सीट से विधायक बने। इस सीट पर कांग्रेस करीबी मुकाबले में हमेशा जीती रही, लेकिन 1993 में पार्टी से चुनाव लड़े अखिलेश सिंह रिकार्ड मतों से जीतकर विधान सभा पहुंचे। जनता में उनकी पकड़ दिनोंदिन मजबूत होती गई और वह लगातार तीन बार जीत दर्ज की। 2007 में कांग्रेस से अलग होकर अखिलेश सिंह ने निर्दल चुनाव लड़े और जीत दर्ज करके अपनी ताकत का एहसास कराया। पांच बार विधानसभा में प्रतिनिधित्व करने के बाद 2017 के चुनाव में उन्होंने अपनी बेटी अदिति सिंह को कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतारा और वह भी चुनाव जीतकर सदन पहुंची। बाद में अदिति सिंह कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गई। पिछले 32 सालों से इस सीट पर अदिति के परिवार का ही कब्जा है। कभी आइटीआइ और अब एम्स से पहचान

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आइटीआइ और चीनी मिल खुली तो गांव-गांव से लोगों को रोजगार मिला। हजारों लोगों के लिए अप्रत्यक्ष रूप से भी रोजगार के द्वार खुले। चीनी मिल बंद हो गई। बदलते दौर में काम की कमी से आइटीआइ फैक्ट्री पर संकट गहराने लगा, लेकिन अब फाइबर आप्टिकल केबिल का निर्माण शुरू करके अपने अस्तित्व को बचा लिया। वहीं मुंशीगंज में एम्स की स्थापना के बाद जिले की पहचान भी ऊंची हो गई। कई जिलों के मरीजों को यहां से स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही हैं। उद्योगों का गढ़ रहा रायबरेली

रायबरेली हीरो साइकिल, अपकान केबिल, स्पीनिग मिल, रायल व भवानी पेपर मिल समेत छोटे बड़े उद्योगों का गढ़ रहा। तमाम फैक्ट्रियां बंदी के कगार पर पहुंची तो सीमेंट फैक्ट्री, पूनी संयंत्र, कोयला फैैक्ट्री आज भी संचालित हो रही हैं।

कम नहीं हुई रोजगार की संभावनाएं

रायबरेली में कभी रोजगार की संभावनाएं कम नहीं हुई। एम्स खुलने के बाद सैकड़ों लोगों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला। औद्योगिक क्षेत्र में संचालित फैक्ट्रियों में जिले के तमाम गांवों के साथ ही अमेठी, प्रतापगढ़, उन्नाव, बाराबंकी तक के लोग प्रतिदिन काम करने आते हैं। अभी इनकी दरकार

शहर के बाहर रिगरोड का काम शुरू किया गया। कई वर्ष बीत गए, लेकिन आज तक काम पूरा नहीं हो सका। बस स्टेशन काफी जर्जर हो चुका। कहीं दूसरी जगह बनाने की सुगबुगाहट भी शुरू हुई, पर इनकी रूपरेखा धरातल पर नहीं उतर सकी। सिटी रिसोर्स सेंटर को भी बजट का इंतजार है। द्वितीय स्टेडियम के लिए कुछ बजट जारी हुआ, लेकिन अभी इसमें भी रोड़े तमाम हैं। हमेशा रहा शिक्षा का केंद्र

मुख्यालय में चार डिग्री कालेज, पालीटेक्निक, इंजीनियरिग कालेज और निफ्ट जैसे नामचीन शिक्षण संस्थानों का भी केंद्र रहा है। यहां जिले के साथ ही देश के कोने-कोने के छात्र अपनी शिक्षा पूरी करने आते हैं। एक नजर में मतदाता

कुल मतदाता- 3,64,864

पुरूष मतदाता- 1,91,091

महिला मतदाता- 1,73,753

थर्डजेंडर मतदाता- 20

नंबर गेम

विधान सभा क्षेत्र रायबरेली

कुल मतदान केंद्र - 226

कुल बूथ-403

वल्नरेबल बूथ- 07

क्रिटिकल बूथ- 26 कब कौन बना विधायक

साल -- उम्मीदवार का नाम -- पार्टी

2017 -- अदिति सिंह -- कांग्रेस

2012-- अखिलेश कुमार सिंह -- पीस पार्टी

2007-- अखिलेश कुमार सिंह -- निर्दलीय

2002-- अखिलेश कुमार सिंह -- कांग्रेस

1996-- अखिलेश कुमार सिंह -- कांग्रेस

1993-- अखिलेश कुमार सिंह -- कांग्रेस

1991-- अशोक कुमार सिंह -- जनता दल

1989-- अशोक कुमार सिंह -- जनता दल

1985--रमेश चंद्र शुक्ला -- कांग्रेस

1980--रमेश चंद्र शुक्ल -- कांग्रेस

1977-- मोहनलाल त्रिपाठी -- कांग्रेस

1974-- सुनीता चौहान -- कांग्रेस

1969-- मदनमोहन मिश्रा-- कांग्रेस

1967-- मदनमोहन मिश्रा -- कांग्रेस


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