जरूरतमंदों की इम्युनिटी बढ़ा रहा मठ का च्यवनप्राश
-- संस्कृत महाविद्यालय के छात्र हर वर्ष जाड़े में बनाते हैं औषधि बस्तियों में जाकर करते निश्शुल्क वितरण
रायबरेली (विकास वाजपेयी): इस मठ का च्यवनप्राश जरूरतमंदों की इम्युनिटी बढ़ा रहा है। गुरु-शिष्य इसे तैयार करते हैं, फिर निश्शुल्क वितरण भी करते। हम बात कर रहे गंगा के तट पर स्थित बड़ा मठ की। इसके परिसर में संचालित श्री राधाकृष्ण संस्कृत महाविद्यालय के छात्र ठंडक में च्यवनप्राश बनाते हैं और जरूरतमंदों को वितरित करते हैं। ये सिलसिला करीब दस वर्षों से चल रहा है। कोरोना काल में यह पहल खासा मददगार है।
महाविद्यालय में रायबरेली के अलावा लखीमपुर खीरी, सीतापुर, उन्नाव, अमेठी के 30 छात्र अध्ययनरत हैं। शिक्षक, संत और महात्मा उन्हें शिक्षित करते हैं। दालभ्य पीठ के महामंडलेश्वर देवेंद्रानंद गिरि की निगरानी में योग, शिक्षा के साथ ही इन्हें सामाजिकता का पाठ भी पढ़ाया जा रहा है। च्यवनप्राश बनाने और वितरित करने का काम यही छात्र करते हैं। गुरु उन्हें इसे बनाने की विधा बताते हैं और अपने सामने ही तैयार कराते हैं। बाद में इसे कस्बे में रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को निश्शुल्क वितरित किया जाता है। 2019 में एक क्विंटल, 2020 में दो क्विटल च्यवनप्राश बनाया गया था। इस बार पांच क्विटल बनाया जा रहा है। इसके लिए लखीमपुर खीरी से भारी मात्रा में शहद मंगाया गया है। ज्यादा औषधि का निर्माण कोरोना के ²ष्टिगत किया जा रहा है, ताकि अधिक से अधिक लोगों तक च्यवनप्राश पहुंचाया जा सके। इसके सेवन से इम्युनिटी बढ़ती है, जो संक्रमण से लड़ने की ताकत देती है। च्यवनप्राश के साथ ही प्रतिश्याय शोधक चूर्ण भी बांटा जा रहा है, जो सर्दी, जुकाम के इलाज में काफी कारगर साबित होता है।
श्मशानघाट आने वालों को कराया भोजन
महाविद्यालय के छात्र कोरोना की दूसरी लहर में भी सामाजिक कार्यों को लेकर खासा सक्रिय रहे। जब लोग कोरोना काल में जान गंवाने वालों की अंतिम यात्रा में शामिल होने से कतराते थे, उस वक्त यही छात्र घाट पर आने वालों को निश्शुल्क भोजन उपलब्ध कराते थे। करीब दस हजार लोगों को भोजन उपलब्ध कराया गया।
महाविद्यालय के छात्रों को शिक्षा के साथ सामाजिकता का पाठ भी पढ़ाया जा रहा है। योग की सीख उन्हें दी जा रही है। साथ ही औषधि गुणों वाले खाद्य पदार्थ और दवाएं बनाना भी सिखाया जा रहा है। इस बार पांच क्विटल च्यवनप्राश बनाकर निश्शुल्क वितरित किया जाएगा।
देवेंद्रानंद गिरि, महामंडलेश्वर बड़ा मठ