बंदर उठा ले गया बच्ची, पेड़ के ऊपर से छोड़ा
रूश्रठ्ठद्मद्ग4 ह्लड्डद्मद्गह्य ड्ड2ड्ड4 ष्द्धद्बद्यस्त्ररूश्रठ्ठद्मद्ग4 ह्लड्डद्मद्गह्य ड्ड2ड्ड4 ष्द्धद्बद्यस्त्ररूश्रठ्ठद्मद्ग4 ह्लड्डद्मद्गह्य ड्ड2ड्ड4 ष्द्धद्बद्यस्त्ररूश्रठ्ठद्मद्ग4 ह्लड्डद्मद्गह्य ड्ड2ड्ड4 ष्द्धद्बद्यस्त्र
डीह : बंदर और बालक एक स्वभाव के होते हैं। ऐसी पुरातन कहावत है। मगर, यह दोनों एक साथ मिल जाएं तो खतरा बढ़ जाता है। सोमवार को पूरे गोसाई गांव में ऐसी ही दिल थाम देने वाली घटना हुई। घर के बाहर के नन्हीं बच्ची लेटी थी। उसकी मां वहीं पर घरेलू कामकाज कर रही थी। अचानक बंदर आया और चार माह की मासूम को उठा ले गया। नजारा देख सबके होश उड़ गए। कोई हो हल्ला मचाता तो कोई बंदर को खाने-पीने की चीज दिखा ललचाता। बंदर बच्ची को गिरा न दे, ऐसे में लोग शॉल और चद्दर तान कर अगल-बगल दौड़ते रहे। कुछ देर की कश्मकश के बाद बंदर ने दोनों हाथ खोल दिए। बच्ची नीचे आ गई। हां, लोग निगाह गड़ाए थे और उन्होंने हाथों में ही बिटिया रानी को कैच कर लिया। पूरे गोसाई गांव के सुनील कुमार की चार माह की बेटी है। घर में उनकी पत्नी सोनी और बेटी आराध्या ही थी। रोज की तरह सोनी के कामकाज निपटा रही थी। वहीं उसकी मासूम बेटी पास में ही चारपाई पर लेटी थी। इसी बीच एक बंदर आया और चारपाई से बच्ची को उठाकर भाग निकला। बच्ची के रोने की आवाज सुनकर सोनी दौड़ी। मगर, तब तक बंदर घर से कुछ दूरी पर लगे एक गूलर के पेड़ पर चढ़ गया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक बंदर बच्ची को प्यार से दुलार रहा था। काफी देर तक वह मासूम को पकड़े रहा। इधर, लोग हल्ला गुल्ला कर रहे थे। मगर, उन्हें इसकी भी फिक्र थी कि कहीं बंदर बच्ची को फेंक न दें। लोगों की धड़कनें बढ़ी हुईं थी। काफी देर बाद बंदर ने बच्ची को पेड़ के ऊपर से ही छोड़ दिया। इधर, लोगों की नजरें सिर्फ बंदर की हरकतों पर थी। बच्ची उसके हाथों से छूटी नहीं कि लोगों ने उसे पकड़ लिया। इस तरह मासूम की जान बालबाल बची।