प्रवासी श्रमिकों ने नहीं मानी हार, उद्योगों ने दिखाई नई राह
केंद्र और प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा मजदूरों के लिए बनी वरदान
रायबरेली : कोरोना महामारी ने आमोखास सभी को प्रभावित किया। महामारी के कारण मजदूरों के हाथों से काम छिन गया। घर वापस आए तो रोजी रोटी की मुश्किलें आने लगी। इस कठिन दौर में जिले के बड़े उद्योग उनके लिए सहारा बने। आइटीआइ, आधुनिक रेल डिब्बा कारखाना, रेल पहिया कारखाने में संकट के दौर में भी हजारों लोगों को काम मिला। यही नहीं केंद्र और प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी मनरेगा सबसे ज्यादा मददगार साबित हुई। जिलेभर में ण्क लाख से अधिक मजदूरों को एक साथ नियोजित किया।
कोरोना काल में हुई भर्ती
आइटीआइ को ओएफसी केबल बनाने का काम मिला। इसके लिए संस्थान को तकनीकी लोगों की और मजदूरों की जरूरत पड़ी। कोरोना काल में ही आइटीआइ में 15 इंजीनियर भर्ती किए गए। रोजगार देने का सिलसिला यहीं नहीं रुका। काम को गति देने के लिए अभी और इंजीनियरों की भर्ती जारी रखी गई। इसके अलावा अस्थाई रूप से भी काफी संख्या में लोगों को काम मिला, जो मेहनत मजदूरी करके अपनी जीविका चला रहे हैं।
एक लाख से अधिक लोग हुए नियोजित
केंद्र व प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी मनरेगा योजना से प्रवासी श्रमिकों और स्थानीय मजदूरों को गांव स्तर पर काम मिला। सरकार ने मनरेगा के जरिए रोजगार के द्वार खोल दिए, हजारों की संख्या में मजदूर जो बाहर काम करते थे, काम छिनने के बाद घर आए तो उन्हें मनरेगा ने नियोजित के द्वारा नियोजित किया गया।
आरेडिका व रेलपहिया कारखाने ने दिखाई रोजगार की राह
आधुनिक रेलडिब्बा कारखाना और रेल पहिया कारखाना अप्रत्यक्ष रूप से हजारों हाथों को काम दिया। आरेडिका में तीन हजार मजदूर काम करते हैं। इन बड़ी फैक्ट्रियों में मजदूरों को मुसीबत के दौर में काम मिला। रेलपहिया कारखाने में भी आसपास के गांवों के एक हजार से अधिक मजदूर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से काम कर रहे हैं।