अनीशा को भाये ¨रकू, पहनाई जयमाल
रसिक द्विवेदी, रायबरेली : आंखों ने कुछ संजीले सपने देखे। फिर, मन ने मीत चुन लिया। बाद में दि
रसिक द्विवेदी, रायबरेली : आंखों ने कुछ संजीले सपने देखे। फिर, मन ने मीत चुन लिया। बाद में दिल की धड़कनों ने संग-संग कदमताल करने की मंजूरी भी दे दी। हां, कुछ लोगों को झटका जरूर लगा। क्योंकि दुल्हन अनीशा बनीं और निकाह कुबूल के बजाय मंडप में जयमाल डालने जा पहुंची। जहां ¨रकू की निगाहें उसका इंतजार कर रही थीं। हां, यह दृश्य जिसने देखा उसने सराहा। सबने कहा..दिल पर किसी का जोर नहीं। वाकया बुधवार का है। आइटीआइ वृद्धाश्रम परिसर में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के अन्तर्गत 154 जोड़ों की शादी थी। प्रशासन नाक के बल खड़ा था। अफरान भीड़ को नियंत्रित कर रहे थे। ¨हदू रीति-रिवाज वाले मंडपों में मंगल ध्वनि और शहनाई मांगलिक माहौल बना रहे थे। जबकि दूसरी ओर नौ जोड़ों का मुस्लिम धर्मगुरु निकाह कराने को इंतजार कर रहे थे। इसी बीच लालगंज ब्लॉक के अल्पसंख्यक समुदाय की अनीशा को सूची में आठवें स्थान पर दर्शाते हुए कुबूलनामे के लिए बुलाया गया। मगर, उसने गौरा निवासी ¨रकू पुत्र बचन के साथ ¨हदू रीति रिवाज से विवाह करने की बात कही। अफसरान थोड़ा असमंजस में पड़े। फिर माहौल को साधते हुए उन लोगों ने अनीशा को मंडप में ले जाकर सात फेरे दिलवाए और दुल्हन ने ¨रकू को जयमाल डाल दी। इनसेट
प्रधान और रिश्तेदार भी आए
अनीशा के पिता जी नहीं हैं। उसकी मां आयोजन में नहीं आईं। लेकिन, उनकी रजामंदी थी। गांव से उसके कुछ सगे संबंधी आए थे। प्रधान भी अपने गांव की बिटिया को ब्याहने समारोह स्थल तक साथ आए थे।
इनकी सुनें
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के लिए अनीशा का नाम मुस्लिम सूची में शामिल किया गया था। लेकिन उसने ¨हदू रीति रिवाज से शादी करने की इच्छा व्यक्त की। अनीशा और ¨रकू ने आपसी सहमति से ¨हदू रीति रिवाज से शादी की।
केके ¨सह, जिला समाज कल्याण अधिकारी