जर्मन तकनीक से आरडब्ल्यूएफ में बनेंगे फोर्ज्ड व्हील
रायबरेली : आधुनिक रेलकोच कारखाना लालगंज से सटी भूमि पर देश का पहला आधुनिक रेल पहिया क
रायबरेली : आधुनिक रेलकोच कारखाना लालगंज से सटी भूमि पर देश का पहला आधुनिक रेल पहिया कारखाना बन रहा है। जिसमें जर्मन तकनीक से रेल पहिए (फोर्ज्ड व्हील) बनेंगे। निर्माण कार्य तेजी से जारी है। मशीनें लगाने का काम भी शुरू कर दिया गया है।
तीन अक्टूबर 2013 को राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड व रेल मंत्रालय के मध्य फोर्ज्ड व्हील कारखाने के लिए करार हुआ था। जिसमें प्रतिवर्ष बनने वाले एक लाख पहियों में से 80 हजार पहिये रेल मंत्रालय लेगा। आठ अक्टूबर 2013 को सांसद सोनिया गांधी ने पहिया कारखाना की आधार शिला रखी। कुल 1683 करोड़ से बनने वाले कारखाने का निर्माण कराने का अनुबंध 29 फरवरी 2016 को जर्मनी की एसएमएस कंपनी को दिया गया। उस समय सितंबर 2018 तक पहिया कारखाना बन कर तैयार होने की बात कही गई थी। लेकिन अभी तक कारखाना निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है। मई 2019 तक कारखाना पूरी तरह से तैयार होने का अनुमान है। 5.6 करोड़ सालाना किराया
राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड ने कुल 40.5 एकड़ जमीन रेलकोच कारखाना से लीज पर ली है। जिसमें से 10 एकड़ भूमि आवासीय परिसर में टाउन शिप बनाने के लिए है। इस भूमि पर 121 कर्मचारियों के आवास बनेंगे। इसमें से 49 आवास बन चुके हैं। 27 एकड़ भूमि एमसीएफ से सटी है, जिसमें पहिया कारखाना बन रहा है। 3.5 एकड़ भूमि एमसीएफ के बगल में रेल साइ¨डग के लिए ली गई है। इसमें रेल लाइन बिछाई जाएगी। पूरी भूमि के किराए के रूप में आरआइएनएल साल 2013 से 5.6 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष किराया रेल मंत्रालय को दे रहा है। क्या कहते हैं अधिकारी
रेल पहिया कारखाना लालगंज के उप महाप्रबंधक (परियोजना) संजय कुमार झा ने बताया कि यह भारत का पहला आधुनिक कारखाना होगा। इसमें फोर्ज्ड व्हील बनेंगे। जर्मनी की कंपनी को कांट्रैक्ट दिया गया है। जो डिजाइन बनाने से लेकर कारखाना भवन तैयार करने, मशीन लगाकर छह माह तक पहिया बनाकर उसकी गुणवक्ता को रेल मंत्रालय से पास कराएगा। फिर आरआइएनएल को कारखाना हैंड ओवर करेगा। इसके बाद जर्मन तकनीक से भारत में भी फोर्ज्ड व्हील बनने लगेंगे। मई 2019 तक कारखाना निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा।