कदम-कदम पर घुटने टेकता रहा पुलिस-प्रशासन
रायबरेली ऐसा माहौल पहले कभी नहीं देखने को मिला। एक ओर दहशतगर्दों ने आतंक मचाए रखा।
रायबरेली : ऐसा माहौल पहले कभी नहीं देखने को मिला। एक ओर दहशतगर्दों ने आतंक मचाए रखा। दूसरी ओर जिम्मेदार अधिकारी सड़कों पर दौड़ते रहे। आम जनमानस दहशत में और बलवाइयों पर कार्रवाई शून्य। लोगों का कहना था कि बाहुबलियों के आगे इस बार प्रशासन नाक के बल गिरा रहा न कि घुटनों के। कलेक्ट्रेट में तो लोग कह रहे थे कि 'रायबरेली तो जैसे बिहार हो गया हो।'
10 मार्च को जिपं सदस्य अविश्वास प्रस्ताव लाते हैं। साथ ही सुरक्षा की मांग करते हैं। बताते हैं कि पूर्व में जब भी उन्होंने बगावत करने की सोची, पुलिस के जरिए दबाव बनाकर उन्हें परेशान किया गया। यह सब बातें उन्होंने डीएम नेहा शर्मा को बतायीं। मगर उनका प्रस्ताव निर्धारित प्रारूप में न होने की बात कहकर रद्द कर दिया गया। सुरक्षा देने की बात तो दूर। दोबारा सदस्य हाईकोर्ट गए। वहां से आदेश आया। वोटिग की डेट तय हो गई। तब भी सदस्यों ने सुरक्षा की गुहार लगाई मगर उनकी नहीं सुनी गई। चंद दिनों में कई सदस्यों पर मुकदमें भी कई सवाल खड़े करता है। सदस्य इस बात का लगातार आरोप लगाते रहे कि पुलिस उनके घर जाकर गाली गलौच करती है, मां-बहनों को प्रताड़ित करती है। यह सब 14 मई के पहले की बातें हैं। अब देखिए मंगलवार का माजरा। घटना-दर-घटना की जानकारी बारी-बारी से प्रशासन को मिलीं। धीरे-धीरे कदम आगे बढ़े, कार्रवाई के नाम पर खानापूरी की गई। अधिकारी ऐसे अराजकता भरे माहौल को दुर्भाग्यपूर्ण बता रहे हैं। बस जिम्मेदारी खत्म।