अस्पताल में बंद ताला, संचालक-कर्मचारी फरार
- महिला चिकित्सकों के अनुपस्थित रहने के कारण कई बार हो चुका है हंगामा - निजी अस्पताल में प्रसूता की मौत का मामला सरकारी चिकित्सक की भूमिका संदिग्ध
रायबरेली : चुरुवा से प्रसव के लिए गर्भवती पहले सीएचसी आई। आरोप है कि यहां सरकारी डॉक्टर ने उसे प्राइवेट अस्पताल में ऑपरेशन करने का सुझाव दिया। स्वजन उसे गोविद हॉस्पिटल ले गए। डिलीवरी तो हो गई, लेकिन प्रसूता की जान नहीं बच सकी। मामले में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद अस्पताल में ताला बंद है। संचालक समेत अन्य आरोपित फरार हैं। पुलिस अबतक किसी की गिरफ्तारी नहीं कर सकी।
उक्त गांव के योगेश तिवारी की पत्नी सरिता को प्रसव पीड़ा होने पर शुक्रवार को सीएचसी लाया गया। खून की कमी होने पर उसे जिला महिला अस्पताल रेफर करने के बजाय नगर के एक प्राइवेट अस्पताल जाने के लिए कहा गया। हालात देख परिवारजन उसे लेकर निजी अस्पताल पहुंच गए। शनिवार को डिलीवरी के बाद सरिता की हालत नाजुक हुई तो उसे लखनऊ रेफर कर दिया गया। वहां कई अस्पतालों में भटकने के बाद एक प्राइवेट अस्पताल में उसे किसी तरह भर्ती कराया गया, मगर चिकित्सक उसकी जान नहीं बचा सके। जैसे ही यह बात परिवारजनों को पता चली तो पहले प्राइवेट अस्पताल और फिर थाने में हंगामा किया। पुलिस ने अस्पताल संचालक डॉ. सीएल वर्मा और चिकित्सीय स्टाफ के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा पंजीकृत कर लिया। आरोपित फरार हैं और हॉस्पिटल में ताला लटका है।
एसीएमओ की अगुवाई में होगी जांच
सीएमओ डॉ. वीरेंद्र सिंह ने बताया कि एसीएमओ डॉ. खालिद रिजवान, डॉ. एम. नारायण और महिला अस्पताल में तैनात प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. निर्मला साहू इस मामले की जांच करेंगी। जो भी दोषी मिलेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
खून की कमी से हुई मौत
गोविद हॉस्पिटल के संचालक शिवबरन सिंह ने बताया कि डॉ. सीएल वर्मा व थुलेंडी गांव के अरुण कुमार के साथ पार्टनरशिप में अस्पताल का संचालन किया जा रहा है। सरिता को प्रसव के लिए भर्ती कराया गया था। उसका हीमोग्लोबिन कम था, इसके चलते प्रसव के बाद हालत बिगड़ गई। आइसीयू की व्यवस्था नहीं होने के चलते उसे लखनऊ रेफर किया गया था।