फसल पर गर्मी की मार, कमजोर दाना तो पैदावार कम
- किसानों की बढ़ी मुश्किलें कहीं बिखर न जाएं उम्मीदें - पछुवा हवा भी नुकसानदायक मजबूर हुआ किसान
रायबरेली : कोरोना महामारी से उबर रहे अन्नदाताओं के लिए रबी की फसल काफी अहम है। इसी पर उसकी पूरी व्यवस्था निर्भर है, लेकिन मौसम के बदलाव ने उसे मुश्किल में डाल दिया है। इस बार फरवरी पिछले 10 वर्ष में सबसे गर्म रही। एकाएक बढ़ा तापमान फसलों के लिए अनुकूल नहीं हैं। ऐसे में पछुवा हवा ने तो धड़कनें बढ़ा दी हैं। किसान को चिता सता रही कि कहीं उम्मीदों पर पानी न फिर जाए। तापमान ऐसे ही बढ़ता रहा तो गेहूं का दाना कमजोर होगा और पैदावार प्रभावित होगी।
पछुवा हवा बंद होने पर करें सिचाई
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ऊंचाहार के मियापुर निवासी प्रगतिशील किसान जग्गी प्रसाद सिंह ने बताया कि गर्मी बहुत बढ़ रही है। इस समय गेहूं में दाना आ रहा है। इसके लिए मौसम उचित नहीं है। यही हाल रहा तो किसान टूट जाएगा। इस समय पछुवा हवा भी चल रही है। यह तीन दिन तक चलती है। ऐसे में किसान फसल की सिचाई न करें। सिचाई करने से पौधा गिर जाता और जड़े उखड़ जाती हैं। इससे दाना सिकुड़ने लगता है, जब पछुवा हवा चलना बंद हो जाए, तब सिचाई करें। दाना बनने के समय खेतों में नमी बहुत जरूरी है। इस समय उर्वरक का छिड़काव करें। जिससे दाना मजबूत हो।
पुष्प और दाना दोनों होंगे प्रभावित
फोटो संख्या- 9 कृषि विशेषज्ञ आरके कनौजिया ने बताया कि मौसम के बदलाव का सीधा असर गेहूं की फसल पर पड़ेगा। इस समय बालियां निकल रही हैं। समय से बोआई करने वाले किसानों की फसल में बालियां निकल आई और दाने बन रहे हैं। देर से बोई गई फसल में भी बालियां आने के बाद फूल बन रहे हैं। ऐसे में सूर्य की तपिश से पुष्प और दाना बनने की प्रक्रिया प्रभावित होगी। बारिश होने या तापमान संतुलित होने से ही किसानों को कुछ राहत मिल सकेगी। गेहूं में पुष्प या दाना बनते समय नमी की बहुत जरूरत होती है। इसलिए खेतों में नमी बनाए रखे। वहीं सरसों की फसल पक जाए तो उसे खेत में न रखे।
जल्दी करें बोआई खरबूज, तरबूज, खीरा, ककड़ी, लौकी, उर्द, मूंग की बोआई की तैयारी किसान कर रहे हैं। ऐसे में सतर्कता बरतनी होगी। खेत में नमी रहे और तापमान ज्यादा न रहे वही समय बोआई के लिए अनुकूल है। जितना जल्दी हो सके बोआई करें। दलहनी फसलों में कीड़े का प्रकोप भी इसी समय होता है। फसल की निगरानी करते रहे।