..इनके माननीय उधर, उनके विधायक किधर?
रायबरेली जो दिखता है वही बिकता है..कहावत वाली बाजार में बहुत कुछ पर्दे के भीतर रहत
रायबरेली : जो दिखता है वही बिकता है..कहावत वाली बाजार में बहुत कुछ पर्दे के भीतर रहता है। राजनीति में भी यही बात लागू होती है। रायबरेली में जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर इन दिनों जो लड़ाई जारी है..उसमें कौन-किसके साथ है? माननीयों के बात-व्यवहार को लेकर कई सवाल लोगों के जेहन में उठ रहे हैं। उसी ऊहापोह को जानने की खातिर जब विधायकों और जिलाध्यक्षों से बातचीत की तो माजरा कुछ यूं नजर आया पेश है रिपोर्ट..।
बात शुरू करते हैं सिलसिलेवार। मंगलवार 14 मई को उच्च न्यायालय के निर्देश पर रायबरेली जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान होना था, मगर पूरे जिले में अराजकता फैल गई और कोरम तक पूरा न हो सका। चूंकि अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले गैर भाजपाई थे। जबकि कुर्सी बचाने का जतन करने वाले सत्ता दल के लोग। अराजकता फैलने के तुरंत बाद सपा, कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी सड़क पर उतर आए। प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए कांग्रेस की विधायक अदिति सिंह समेत जिपं सदस्यों पर हमले को लोकतंत्र का कलंक बताया और रायबरेली के लिए काला दिन कहा। स्थानीय स्तर से लेकर प्रदेश तक में सरकार की किरकिरी होते देख, भाजपा भी सक्रिय हुई। जिपं अध्यक्ष अवधेश सिंह के भाई एमएलसी दिनेश सिंह ने मोर्चा संभाला। 15 तारीख को भाजपा के स्थानीय नेताओं का प्रतिनिधि मंडल जिलाधिकारी नेहा शर्मा से मिलने पहुंचा। वहां भाजपा के सलोन से विधायक दलबहादुर कोरी संग कांग्रेस विधायक राकेश सिंह भी खड़े दिखाई पड़े। चूंकि राकेश एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह के भाई हैं। ऐसे में उनका वहां दिखना यहां के लोगों के लिए कोई आश्चर्यजनक बात नहीं रही। इधर, 16 मई को एमएलसी दिनेश सिंह भाजपा के कुछ नेताओं संग लखनऊ में राज्यपाल से मिले। वहां भी जिले का कोई भी भाजपा विधायक मौजूद नहीं रहा। सवाल उठ रहा है कि जिले में भाजपा के तीन विधायकों में से दलबहादुर कोरी के एक दिन का साथ छोड़कर किसी अन्य माननीय की इस पूरे प्रकरण में सक्रियता क्यों नहीं दिखी।
घटना की घोर निदा करता हूं
मेरी पत्नी की तबीयत खराब थी, उसी सिलसिले में मैं बाहर था। हां, लोकतंत्र में ऐसी घटनाओं को उचित नहीं कहा जा सकता है। भाजपा की सरकार में कानून-व्यवस्था जैसे मसले शीर्ष प्राथमिकता में हैं। मैं घटना की घोर निदा करता हूं। प्रकरण की जांच होनी चाहिए साथ ही दोषियों पर कड़ी कार्रवाई भी। मैं भाजपा का सिपाही हूं।
-धीरेंद्र बहादुर सिंह
विधायक, सरेनी पार्टी जहां कहेगी वहां मौजूद मिलूंगा
हम सब भाजपा के साथ हैं। छह मई को यहां चुनाव खत्म होने के बाद हमारी ड्यूटी बस्ती में फिर मुझे वाराणसी भेज दिया गया। वहां से 17 मई की शाम को लौटा हूं। राजनीति में जीत ही सबकुछ होती है। प्रकरण की जानकारी मिली है। पार्टी का वर्कर हूं, जहां लगाएगी वहां मौजूद मिलूंगा।
-रामनरेश रावत
विधायक, बछरावां राजनीति और व्यक्तिगत जिदगी अलग-अलग
विधानसभा में मै कांग्रेस सदस्यों के संग ही बैठता हूं। वाकआउट आदि मौकों पर उन्हीं के साथ सदन से बाहर भी जाता हूं। हां, राजनीति और व्यक्तिगत जिदगी अलग-अलग होती है। दिनेश प्रताप सिंह मेरे भाई हैं, परिवार की जरूरतों के वक्त उनके साथ रहने में कोई हर्ज नहीं। स्थानीय कांग्रेस के लोगों ने बैठकों या अन्य गतिविधियों में मुझे कभी बुलाया नहीं तो क्यों जाऊं? डीएम से मिलने जब भाजपा के लोग गए थे, मैं भी किसी कार्य के चलते वहां गया था। संयोग से उस वक्त हम भी वहां दिखे इसमें राजनीति जैसी कोई बात नहीं है।
-राकेश प्रताप सिंह
विधायक, हरचंदपुर सभी भाजपाई साथ हैं
भाजपा के सभी लोग साथ हैं। मैं भी बाहर था, डीएम से मिलने वालों में दलबहादुर कोरी विधायक सलोन शामिल थे। सब लोग पार्टी के साथ हैं। डीएम के यहां कांग्रेस विधायक राकेश सिंह की मौजूदगी को मै एमएलसी दिनेश सिंह के भाई होने के नजरिए से देखता हूं। राजनीतिक दृष्टि से नहीं।
-रामदेव पाल
भाजपा जिलाध्यक्ष राकेश पर होगी कार्रवाई
राकेश प्रताप सिंह कांग्रेस के टिकट पर लड़े थे। जीते थे, लेकिन उनकी नीयत खराब हो गई। लगातार वे भाजपा के साथ हैं, कांग्रेस पार्टी में नहीं। पार्टी उनके खिलाफ मय साक्ष्यों के वैधानिक तरीकों से कार्रवाई करेगी।
-वीके शुक्ल,
कांग्रेस जिलाध्यक्ष