बेलाभेला स्वास्थ्य टीम नहीं पहुंची बैंती, 25 लोगों की मौत
- दोनों बड़ी ग्राम पंचायतें सैनिटाइजेशन और टेस्टिग को लेकर गंभीर नहीं जिम्मेदार -खांसी-बुखार के दौरान जा रही लोगों की जान विभाग बना अनजान
रायबरेली : महामारी के दौर में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल किसी से छिपा नहीं है। कम आबादी वाले गांवों की बात छोड़िए, यहां दस और बीस हजार लोगों की बस्ती में भी चिकित्सीय टीमें नहीं पहुंच रही हैं। सर्दी, जुकाम और बुखार से लोगों की जान जा रही है। अस्पतालों में ओपीडी बंद है, निजी चिकित्सकों के अधिकांश क्लीनिकों पर भी ताला लटक रहा है। झोलाछाप के भरोसे जन स्वास्थ्य है। यह हाल तब है जब 25 लोग असमय काल कवलित हो चुके हैं। गांव में सीएचसी, फिर भी जांच नहीं राही : बेलाभेला गांव की आबादी लगभग 20 हजार है। दूसरी लहर में खांसी व बुखार से दस लोगों की मौत हो चुकी है। 52 पुरवों वाले इस गांव में अब तक न तो सैनिटाइजेशन कराया गया है और न ही चिकित्सीय टीम कोरोना जांच के लिए आई है। शहर के करीब 14 हजार मतदाता वाले गांव की ये दशा है तो सोचिए दूसरी ग्राम पंचायतों का क्या हाल होगा। अधीक्षक डा. संजीव सिंह का कहना है कि सर्वे कराया जा रहा है। जल्द ही कोरोना टेस्ट के लिए सैंपलिग कराई जाएगी।
एक महीने में 12 मौतें फिर भी मौन
शिवगढ़ : बैती गांव में अप्रैल से पहली मई के भीतर कोरोना लक्षण वाले 12 लोग काल के गाल में समा चुके हैं, जिनकी जांच भी नहीं हुई थी। गांव की बाकी दस हजार की आबादी को लेकर भी संवेदनशीलता नहीं दिखाई गई। यहां अभी तक न तो दवा का छिड़काव कराया गया है और न ही टेस्ट के लिए स्वास्थ्य टीम आई है। अधीक्षक डा. राजेश कुमार गौतम का कहना है कि जिन घरों में लोगों की जान गई है, उनके परिवारजन की जांच की गई है। सैनिटाइजेशन का काम बीडीओ का है।