सोनिया के गढ़ में ताज बचाने की चुनौती
जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर यूं तो कई बार कांग्रेस का ही कब्जा रहा।
रायबरेली : जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर यूं तो कई बार कांग्रेस का ही कब्जा रहा। बावजूद वह इस बार सदस्य संख्या बल के मामले में दहाई में सिमट गई। ऐसे में अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा बरकरार रख पाना कठिन चुनौती है। यह हाल तब है जबकि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी यहां से सांसद हैं। भाजपा की हालत तो और भी खराब है, वह इकाई में सिमट गई। सपा के लिए भी जीत का जादुई आंकड़ा जुटा पाना टेढ़ीखीर है।
गत बार हुए चुनाव में कांग्रेस समर्थित अवधेश सिंह जिला पंचायत अध्यक्ष बने थे। इससे पहले इन्हीं के परिवार की सुमन सिंह इस पद पर निर्वाचित हुई थीं। कुल 52 सदस्यों वाले इस सदन पर काबिज होने के लिए पहली बार प्रमुख राजनीतिक दलों ने समर्थित प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाया। कांग्रेस पहले ही सभी सीटों पर प्रत्याशी नहीं दे सकी। उसने महज 33 क्षेत्रों में चुनाव लड़ाया, जिसमें 10 सीटों पर जीत हासिल हुई। सपा ने 35 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, जिसमें से 14 पर कामयाबी मिली। भाजपा ने जिस जोरशोर से इस चुनाव में ताकत लगाई, उसका असर नजर नहीं आया। सभी सीटों पर कंडीडेट उतारने के बावजूद वह नौ सीट जीतकर इकाई में सिमट गई। इसके पीछे कई तरह के कारण भीतरखाने चर्चा में हैं। बताते हैं कि एकजुटता का अभाव व निष्ठावान कार्यकर्ताओं को तरजीह न दिए जाने के कारण पार्टी की यह दुर्गति हुई। आलम यह है कि पार्टी ने जिला पंचायत की पूर्व अध्यक्ष सुमन सिंह को हरचंदपुर तृतीय सीट लड़ाया था, लेकिन वे भी हार गईं। महराजगंज प्रथम सीट से पूर्व विधायक राजाराम त्यागी भी चुनाव हार गए। इसी तरह कई सीटों पर पार्टी के अन्य नेता भी पराजित हुए। अब देखने वाली बात यह होगी कि अध्यक्ष की कुर्सी हासिल करने के लिए किस तरह जोड़तोड़ होगी। कारण किसी भी दल को बहुमत के करीब पहुंचने का जनादेश नहीं मिला है। जाहिर है कि निर्दलीयों पर ही डोरे डाले जाएंगे।
प्रमाणपत्र के लिए 24 घंटे करते रहे इंतजार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की मतगणना सोमवार की दोपहर तक समाप्त हो चुकी थी, लेकिन इसकी रिपोर्ट मुख्यालय तक पहुंचने में 24 घंटे से भी अधिक का वक्त लग गया। डीडीसी मेंबर के जीते प्रत्याशी प्रमाण पत्र के लिए समर्थकों संग एडीएम कार्यालय के सामने बैठे इंतजार करते रहे। जब तक सर्टिफिकेट मिल नहीं गया, तब तक उनके दिल की धड़कनें बढ़ी रहीं।
यहां जिला पंचायत सदस्य के 52 पदों पर चुनाव हुए थे। इसके सापेक्ष करीब 700 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। दो मई की सुबह शुरू हुई मतगणना तीन मई की दोपहर तक समाप्त हो चुकी थी। जीतने वाले उम्मीदवारों को जिला मुख्यालय पर एडीएम प्रशासन के कार्यालय से प्रमाण पत्र दिया जाना था। ब्लॉक स्तर पर मनमानी और हीलाहवाली का आलम यह रहा कि मतगणना समाप्त होने के 24 घंटे बाद यानी मंगलवार की शाम पांच बजे तक सलोन और डलमऊ ब्लॉक से कई विजेता प्रत्याशियों की सूची मुख्यालय नहीं पहुंची थी। एडीएम प्रशासन राम अभिलाष ने बताया कि जैसे-जैसे ब्लॉकों से जानकारी आ रही है, वैसे-वैसे प्रमाण पत्र वितरित किए जा रहे हैं।