कोरोना संक्रमण की बंदिशों में ईद की खुशियां
- अब घर में अपनों के बीच मनाते हैं पर्व मोबाइल से एक-दूसरे को देते बधाई
रायबरेली : ईद का पर्व मुसलमानों के लिए खुशियों भरा होता है। हर साल कहारों के अड़्डे पर मेला जैसा माहौल रहता है। वहीं इंदिरा उद्यान में पैर रखने भर की जगह नहीं मिलती। नए-नए कपड़ों में बच्चों से लेकर बड़ों तक का उत्साह देखते ही बनता। वहीं पिछले दो साल से कोरोना संक्रमण बढ़ा तो पर्व मनाने के तौर तरीकों पर भी असर पड़ने लगा। हाल यह है कि बंदिशों के बीच हर कोई घर में रहकर ही मनाने को विवश हैं। वहीं एक-दूसरे के घरों में जाने के बजाये मोबाइल से बधाई देने का प्रचलन बढ़ गया है।
इस्त्रराइल अमजदी कहते है कि सतर्कता बेहद जरूरी है। कोरोना महामारी से पूरा विश्व प्रभावित हो रहा है। ऐसे में हम लोगों का फर्ज है कि खुद के साथ दूसरों को भी सुरक्षित रखे। सैयद अबू मुस्लिम हसनी कहते है कि अब तो घर पर सेवई आदि पकवानों से ही काम चलाना पड़ता है। पिछले कई दिनों से बाजार बंद है। कुछ खास खरीदारी भी नहीं कर सके। मौलाना कासिम कादरी कहते है कि हमारे बीच के कई लोग संक्रमण की चपेट में आ गए। शालीनता से सभी लोग पर्व मनाएंगे। मो. तौसिफ रजा बताते है कि घर में रहकर पर्व मनाएंगे। यह शायद अपनों के बीच एक सुखद अहसास भी होगा। पर्व में खरीदारी नहीं कर पाने का मलाल जरूर है।
इनसेट
भावनात्मक संदेश से बदल रहा माहौल
इन दिनों ईद को लेकर भावनात्मक संदेश तेजी से इंटरनेट मीडिया में चल रहा है। इसमें लोग एक-दूसरे को फारवर्ड करके संक्रमण से जान गवां रहे लोगों के प्रति शोक संवेदना प्रकट कर रहे हैं। वहीं यह भी लिख रहे हैं कि जहां पर ज्यादा कफन बिक रहे हों, वहां हम कैसे ईद पर नए कपड़े खरीदे। मुस्लिम समाज में ऐसे पोस्ट का लोग समर्थन भी करते नजर आ रहे हैं।