फिर दो राहे पर पालिका, कैसे नैया लगेगी पार
- स्वछता सर्वेक्षण विकास कार्य और बोर्ड बैठक प्रभारी ईओ के लिए चुनौती
रायबरेली : वित्तीय वर्ष 2018-19। यह वह दौर था जब पालिका में ईओ की कुर्सी काफी दिनों तक खाली रही। तत्कालीन अधिशासी अधिकारी मुशीर अहमद के प्रोन्नत होकर 10 दिसंबर 2018 को चले गए। इसके बाद काफी दिन तक अधिशासी अधिकारी का पद रिक्त रहा। दूसरे नगर पंचायतों के अधिकारियों के सहारे यहां पर काम किसी तरह चलता रहा। नतीजा विकास कार्य पूरी तरह से ठप हो गया था। चार जनवरी 2019 को प्रियंका मिश्रा को अतिरिक्त जिम्मेदारी मिली। दो निकायों का कार्यभार होने के कारण ज्यादा समय नहीं दे सकीं। इसका दुष्परिणाम शहर को भुगतना पड़ा। 27 फरवरी 2019 को प्रतिनियुक्ति पर ईओ की जिम्मेदारी बालमुकुंद मिश्र को सौंपी गई, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। स्वच्छता रैंकिग जारी हुई तो नगर पालिका को काफी नुकसान पहुंचा। इसके साथ ही सर्वेक्षण सूची में 2018 में 311 के सापेक्ष वर्ष 2019 में 58 पायदान नीचे 369 पर पालिका पहुंच गई। एक बार फिर पालिका उसी दो राहे पर आकर खड़ी हो गई है। यहां तैनात रहे ईओ बाल मुकुंद मिश्र को तो कार्यमुक्त कर दिया गया, लेकिन अभी तक शासन से कोई नहीं भेजा गया। हालांकि अध्यक्ष द्वारा फौरी तौर पर कर अधीक्षक को तो प्रभारी तो बना दिया गया है, लेकिन वित्तीय वर्ष की समाप्ति का महीना है। ऐसे में बोर्ड बैठक, तेजी से विकास कार्य कराना हो या फिर स्वच्छता सर्वेक्षण में बेहतर रैंकिग इन चुनौतियों के सामने कितने सफल होते हैं, यह आने वाले समय में पता चल सकेगा।
शासन के पाले में गेंद, बढ़ा संशय
पालिका अध्यक्ष पूर्णिमा श्रीवास्तव द्वारा शासनादेश का हवाला देकर ईओ रहे बालमुकुंद मिश्र को कार्यमुक्त कर दिया गया है। अब गेंद पूरी तरह शासन के पाले में है। वहीं शह-मात के चल रहे इस खेल में जिस तरीके से आनन-फानन में कदम उठाया गया है, इससे चर्चाओं का दौर तेजी चल रहा है। सप्ताह भर से चल रहे घटना क्रम के बाद दफ्तर का माहौल भी बदला- बदला नजर आ रहा है। हालांकि आदेश मिलने के बाद प्रभारी ईओ बने कर अधीक्षक अधिशासी अधिकारी कक्ष में बखूबी से कार्य को निस्तारित करते नजर आए।