इन रैन बसेरों में बीते कैसे 'रैना'
सर्दी का सितम और मजबूरों की जिदगी। जो दिनभर हाड़तोड़ मेहनत करके रात को सुकून की नीं
सर्दी का सितम और मजबूरों की जिदगी। जो दिनभर हाड़तोड़ मेहनत करके रात को सुकून की नींद नहीं पा सकते थे। रैन बसेरों की उनके लिए ही सरकार की एक आदर्श मंशा थी। लेकिन, ये भी अफसर और लालफीताशाही में उलझ कर रह गई। मोटे बजट में हवा-हवाई इंतजाम बंटरबांट का प्रमाण देने को पर्याप्त हैं। शहर का शायद ही कोई रैन बसेरा आदर्श स्थिति में हो। उच्चतम न्यायालय ने भी इन्हें दुरुस्त हाल में रखने को सख्त हिदायतें दीं। लेकिन, सच्चाई सिर्फ उन हालात से जूझ रहे गरीबों और मजलूमों का मखौल उड़ाने वाली ही दिखती है। शासन की संजीदगी भी इन्हें पटरी पर नहीं ला पाती। कोई लाख दावे कुछ भी करें, सच्चाई यही है। गुरुवार को अचानक मौसम ने पलटी मारी। तेज पानी बरसा। सर्दी भी सितमगर हो गई। इस दौरान शहर के अस्थायी रैन बसेरों ने भी दम तोड़ दिया। अब तो बरसात ने बचाव का मौका दे दिया। कुल मिलाकर यह योजना भी ढेर हो गई। इनसेट
शहर में कुल रैन बसेरे --- 12
स्थाई --------------- 09
अस्थायी ------------- 03
कुल बजट, लाख में ----- 07
रजाई --------------- 40
गद्दे ----------------- 40
इनमें बिजली नहीं -------- 08
यहां बत्ती का है इंतजाम -- 04 यहां हैं रैन बसेरे
शहर के चकधौरहरा में नगर पालिका का 75 बेड वाला स्थायी रैन बसेरा है। इसके अलावा जीआइसी, जिला अस्पताल, डीएम आवास, स्टेडियम, मामा चौराहा, इंदिरा उद्यान, रतापुर में गल्लामंडी, पुलिस लाइंस के पास भी स्थायी रैन बसेरे हैं। वहीं सुपर मार्केट, बस स्टेशन और रेलवे स्टेशन पर अस्थायी रैन बसेरे बनवाए गए हैं।