लुढ़का पारा, गलन बढ़ने से ठिठुरे लोग
रायबरेली रविवार को पारा और लुढ़क गया। इससे गलन बढ़ गई और दिन में भी सड़कों
रायबरेली : रविवार को पारा और लुढ़क गया। इससे गलन बढ़ गई और दिन में भी सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा। लोग जरूरी होने पर ही घरों से निकले। सर्द हवाओं से हर कोई ठिठुरा रहा। मुख्य चौराहों समेत मुहल्लों में जहां भी अलाव दिखा, लोग उसके आसपास बैठे रहे।
शनिवार को तापमान 7.8 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया था। दूसरे दिन न्यूनतम तापमान 4.8 और अधिकतम 16 डिग्री सेल्सियस पर रहा। तापमान में गिरावट से आम जनजीवन प्रभावित हो गया। सुबह घने कोहरे के कारण वाहन सड़कों पर रेंगते नजर आए। सुबह मार्निंग वाक पर जाने वाले भी नहीं नजर आए। दो दिनों से पछुआ हवाओं के चलने से ठंड का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। 23 तक शैक्षणिक संस्थान बंद, आनलाइन पढ़ाई जारी
कोरोना संक्रमण के बढ़ते दर को देखते हुए शासन ने शैक्षणिक संस्थानों को 23 जनवरी तक बंद करने का आदेश दे दिया है। यह जानकारी जिला विद्यालय निरीक्षक ओमकार राणा ने दिया। उन्होंने बताया कि शिक्षण कार्य प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा। आन लाइन कक्षाएं और कोविड टीकाकरण पहले की ही तरह जारी रहेगा।
पाला से आलू की फसल को बचाएं किसान
कमरौली : पिछले तीन चार दिनों से मौसम शुष्क बना हुआ है। सुबह शाम घना कोहरा छाया रहता है। दोहपर होते-होते मौसम साफ हो जाता है। रात के तापमान में काफी गिरावट महसूस की जा रही है। जिस कारण रात में पाला पड़ना शुरू हो गया है। ऐसे मौसम में आलू व सब्जियों में पाले से नुकसान का खतरा बढ़ गया है।
आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र कठौरा के अध्यक्ष डा. आरके आनंद ने बताया कि जब दिन में मौसम साफ हो और रात का तापमान कम हो, तो पाले की संभावना बढ़ जाती है। पिछले 24 घंटे में तापमान में गिरावट हुआ है। अगले दो तीन दिन और तापमान कम रहने की संभावना है। कम तापमान में विशेषकर आलू की पत्तियां झुलसी हुई दिखाई देती है। पाला से बचाव हेतु खेत में नमी बनाये रखें तथा आवश्यकतानुसार शाम को सिचाई करें। यदि संभव हो तो शाम को खेत के आसपास घासफूस जलाकर धुआं करें। इससे पाला का प्रकोप कम होगा।
यदि आलू में झुलसा रोग लग गया है, तो डाईथेन एम 45 या मेंकोजेब दवा की 2 से 2.5 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें। केंद्र के पशु पालन वैज्ञानिक डा. सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि पशुओं को ठंड से बचाने हेतु उन्हें टाट की बोरी से ढंक का रखे तथा पशुशाला के चारों ओर तिरपाल आदि लगाएं।