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खेती करत होते तो किसानन का दर्द पता चलत

रायबरेली चुनावी महासमर चल रहा है। हर तरफ सियासी रंग चढ़ने लगा है। कोई किसी दल के र

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 12:03 AM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 12:03 AM (IST)
खेती करत होते तो किसानन का दर्द पता चलत
खेती करत होते तो किसानन का दर्द पता चलत

रायबरेली : चुनावी महासमर चल रहा है। हर तरफ सियासी रंग चढ़ने लगा है। कोई किसी दल के रंग में रंगा है तो कोई किसी नेता का मुरीद है। ऐसे माहौल में जहां देखो वहीं सिर्फ सत्ता और राजनीति की बातें। चार जन खड़े हों और चुनावी चकल्लस न हो, ऐसा भला कैसे संभव है। इन चर्चाओं में कोई जीतता है तो कोई हारता है। वोट पड़े नहीं, लेकिन टक्कर पहले ही हो जाती हैं। महराजगंज के नवोदय विद्यालय चौराहे पर सुरेश के होटल पर हुए ऐसी चुनावी बहस लोगों में होती दिखी।

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सुबह सात बजे थे। गुनगुनी धूप थी। चाय की चुस्कियों के साथ कुछ किसान अखबार की सुर्खियों में व्यस्त थे। तब तक पूरे सुबेदार के अशोक अवस्थी ने चुनावी बातें छेड़ दी। बोले ..अबकी बार तो रायबरेली मा भी कांटे की टक्कर होई। बेसहारा मवेशियों से परेशान पूरे मचाल निवासी श्रीपाल अपनी पीड़ा बयां करते हुए बोले ..रखावत-रखावत परेशान होई गएन। मुला छुट्टा हरहन से फसल बचय नहीं पावत। वोट तो वहीका देब जे ई हरहन ते छुटकारा देवाई।

चाय के दुकानदार सुरेश ने इसका जवाब दिया। कहा..ईं हरहा मोदी छोड़िन है का, अपनिन सबके तो अहीं।

70 साल के बुज‌रु्ग रामहर्ष ने अपने अनुभव को साझा किया। कहा..इंदिरा का देखा, राजीव का देखा, अउ मोदिव का देखा। रायबरेली मा जेतना सोनिया, इंदिरा व राजीव करिगे हैं, मोदी वहिकै एकव हिस्सा नहीं किहिन। गड़रियन का पुरवा के रामसमुझ भी रामहर्स हां में हां मिलाई। कहा ..भइया मोदी खेती करत होते तौ पता लागत किसानन का दर्द। नरई निवासी दिनेश ने बेरोजगारी का मुद्दा उठाया। कहा ..घर के लरिका पढ़े लिखे घूमि रहे हैं। एक्कौ नौकरी नहीं निकरीं। सालन कांग्रेस सत्ता मां रही। मोदी का भी देखा गया। कउनो खरे न उतरें।

महराजगंज कस्बे के सुरेंद्र ने कहा.. मोदी दुई-दुई हजार दिए का कहिन रहय, वह अब तक खातन में नहीं पहुंचा।

काफी देर से सबकी बातें सुन रहीं गोमती ने अपनी चुप्पी तोड़ी। बोलीं.. जनता का भला बहुतय कम लोग सोचत हैं। हमका तुमका कुछ खेती करे के बादय खाए का मिली। खेती मा मेहनत करव। हियां तव जनता जौन करत आई है, वहय करी। उनकी बात पूरी होती, तब तक अशोक अवस्थी बोल पड़े। कहा ..गरीबन का फिरी मा रसोई गैस दिहिन। बिजली कनेक्शन दिहिन। शौचालय मिल गवा। एकव रुपिया यहिमा नहीं लाग। रामहर्ष ने उन्हें जवाब दिया। कहा .. कई दईं आधार कार्ड ब्लॉक मा जमा करावा गवा। कालोनी मिला न शौचालय बना। उनकी यह बातें सुन लोग ठहाके मार कर हंसने लगे। फिर एक-एक कर सब चले गए। दूसरे लोग आते रहे और चर्चाओं का दौर ऐसे ही चलता रहा।


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