सब्जियों ने सजाया वीर बहादुर के सपनों का सब्जबाग
अगैती खेती करके सुधारी परिवार की आर्थिक स्थिति। अपनी आर्थिक स्थिति सुधार ली। दूसरे किसानों के लिए बने नजीर। मकान बनाया बचों की शादी की।
रायबरेली : कच्ची दीवारों पर पुआल का छप्पर। दो बेटे व दो बेटियों के परवरिश की जिम्मेदारी। जमीन के नाम पर महज एक बीघा भूमि..। इन विपरीत हालातों में किसान वीर बहादुर ने सब्जी की पैदावार करने का निर्णय लिया। शुरुआत में उन्हें निराशा हाथ लगी मगर, उन्होंने हार नहीं मानी। उनकी मेहनत और लगन रंग लाई। उन्होंने अपनी आर्थिक स्थिति तो सुधार ही ली। साथ में दूसरे किसानों के लिए भी नजीर बन गए हैं।
हम बात कर रहे हैं पूरे गोपाल मजरे मदुरी गांव निवासी 75 साल के वीर बहादुर सिंह की। वह करीब 20 वर्षों से सब्जी की खेती कर रहे हैं। मगर, अगैती खेती का प्रयोग उन्होंने एक दशक पहले शुरू किया। वर्तमान में वह अपनी एक बीघा भूमि समेत दूसरों की तीन बीघे खेत बटाई पर लेकर सब्जी की अगैती खेती ही कर रहे हैं। उन्होंने खेत में तोरई, भिडी, लोबिया, धनिया व खीरा बो रखे हैं। वह कहते हैं कि जब कटरी क्षेत्र से आने वाला खीरा समाप्त हो जाएगा, उसके बाद भी उनके खेत में खीरा रहेगा। धनिया बोई है जो अगस्त तक चलेगी। इसके बाद फिर से धनिया तैयार करेंगे। पिछले वर्ष 10 बिस्वा खेत में धनिया बोई थी जो एक सीजन में 25 हजार रुपये की बिकी थी। उसके बाद उसी खेत में गेहूं की फसल कर ली थी। जिसमें सात क्विंटल पैदावार हुई थी। वह बताते हैं कि एक बीघा खेत में एक सीजन में 50 से 60 हजार रुपये की सब्जी बेच लेते हैं। तोरई की फसल का समय पूरा होने के बाद उसी खेत में टमाटर, फूलगोभी व पत्ता गोभी की फसल करेंगे। मकान बनाया, बच्चों की शादी की इसी सब्जी की फसल की बदौलत उन्होंने पुख्ता मकान बनवा लिया है। दोनो बेटे व बेटियों की शादी कर चुके हैं। बड़ा बेटा सम्पत सिंह दिल्ली में नौकरी करता है। छोटा बेटा केशरी सिंह मोबाइल की दुकान करने के साथ पिता वीर बहादुर के साथ खेती में हाथ बंटाता है।