नहीं रहे पाकिस्तान के हौसले पस्त करने वाले हरिश्चंद्र
- भारत-पाक युद्ध में दुश्मनों को दिया था मुंहतोड़ जवाब छह महीने तक पड़ोसी देश की सीमा में रहे
रायबरेली : भारत-पाक युद्ध में दुश्मनों के हौसले पस्त करने वाले सैनिक हरिश्चंद्र सिंह का निधन हो गया। वे काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। कमांड हॉस्पिटल लखनऊ में भर्ती थे। उनके निधन की सूचना मिलने के बाद भवानीगढ़ स्थित आवास पर शोक संवेदना प्रकट करने वालों का तांता लगा हुआ है।
पूर्व सैनिक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के खंडसह बौद्धिक प्रमुख हरिकेश सिंह के पिता हरिश्चंद्र सिंह ने भारत-पाक युद्ध 1965 और 1971 में सक्रिय भूमिका निभाई थी। 72 वर्षीय हरिश्चंद्र सिंह का कमांड अस्पताल लखनऊ में कई दिन इलाज चल रहा था। शनिवार देर शाम उन्होंने अंतिम सांस ली। बेटे हरिकेश सिंह बताते हैं कि भारत-पाक युद्ध में पिताजी की सक्रिय भूमिका रही। 1971 के पाक युद्ध में भारतीय सैनिकों के साथ वे भी पड़ोसी देश की सीमा में चले गए। करीब छह महीने तक पाकिस्तान में रहे। रविवार को अंतिम संस्कार हुआ। इनके बेटे हैं। सभी शिक्षक हैं। पूर्व सैनिक के निधन पर पूर्व एमएलसी राजा राकेश प्रताप सिंह, पूर्व विधायक राजाराम त्यागी, आरएसएस विभाग प्रचारक डा. अवधेश कुमार, सह प्रांत कार्यवाह संजय सिंह, भाजपा विधायक रामनरेश रावत, अमर सिंह राठौर आदि ने शोक संवेदना व्यक्त की।
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छह महीने नहीं चला पता तो कर दिया था अंतिम संस्कार
परिवारजनों ने बताया कि युद्ध के बाद तलाशने का काफी प्रयास किया, लेकिन कुछ पता नहीं चला। भारत सरकार व घर के लोगों ने मान लिया उनकी मौत हो गई है। इतना ही नहीं उनका अंतिम संस्कार भी गांव में पूरे रीति रिवाज से कर दिया गया था। करीब छह माह बाद वापस आए तो हर कोई आश्चर्य चकित रह गया था। वहां से आने के बाद पूरी बात बताई। कहा कि उनके साथ कुछ और भी सैनिक थे, जो इस लड़ाई में पाकिस्तान में चले गए थे। वहां की सरकार से बचते हुए करीब जंगल में आदिवासियों के साथ रहे। वहां से किसी तरह से आए तो इसकी सूचना भारत सरकार को दी।