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पेयजल संकट, 1.80 करोड़ की परियोजना पर लगा ग्रहण

डलमऊ रायबरेली धार्मिक नगरी में शुद्ध पेयजल का संकट बना हुआ है। दो साल बीतने को हैं लेि

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Sep 2021 10:19 PM (IST)Updated: Wed, 01 Sep 2021 10:19 PM (IST)
पेयजल संकट, 1.80 करोड़ की परियोजना पर लगा ग्रहण
पेयजल संकट, 1.80 करोड़ की परियोजना पर लगा ग्रहण

डलमऊ, रायबरेली : धार्मिक नगरी में शुद्ध पेयजल का संकट बना हुआ है। दो साल बीतने को हैं, लेकिन नगरीय पेयजल योजना का काम पूरा नहीं हो सका है। तकरीबन 12 हजार आबादी दूषित पानी पीने को मजबूर है। ऐसा 1.80 करोड़ की परियोजना पर ग्रहण लगा होने के कारण हो रहा है। प्रदेश के 73 नगर पंचायतों में इस योजना के तहत 132 करोड़ रुपये की परियोजना दो वर्ष पूर्व स्वीकृत की गई थी। डलमऊ नगर पंचायत को भी इसमें शामिल किया गया। यहां 10 वार्डों में सबमर्सिबल बोरिग, आरओ प्लांट व पाइप लाइन बिछाने का काम होना है। शुद्ध पानी घरों में पहुंचाने के लिए 1.80 करोड़ रुपये का बजट भी स्वीकृत हो गया। उक्त कार्य के लिए प्रतापगढ़ की लाइफ ईको एनएफजी एंड वाटर रिसोर्सिंग मल्टी फर्म को काम कराने का ठेका 17 सितंबर 2019 को मिल गया। ये काम एक वर्ष के भीतर पूरा होना था, लेकिन कार्यदायी संस्था ने शिथिलता बरती। ठेकेदार की ओर से उक्त योजना के लंबित कार्यों को पूरा कराने के लिए प्रयास भी नहीं किए जा रहे हैं, जबकि फर्म को नगर पंचायत की ओर से 46 लाख रुपये का भुगतान भी किया जा चुका है। नगर पंचायत अध्यक्ष पंडित बृजेश दत्त गौड़ ने बताया कि आरओ प्लांट का कार्य तकरीबन पूरा हो चुका है। इसके अलावा जो कार्य शेष है, उसे जल्द पूरा कराने के लिए फर्म के अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। आरओ पेयजल प्लांट निर्माण कार्य देख रहे विनोद कुमार ने बताया कि नगर पंचायत यदि देखरेख का जिम्मा ले तो हमारे प्लांट तैयार हैं। शेष काम को पूरा कराने के लिए शासन से समय मांगा गया है। अफसर पूछें, क्यों नहीं पूरा हुआ काम

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शेखवाड़ा निवासी मोहम्मद वकील ने बताया कि आरओ प्लांट लगने से ये उम्मीद जगी कि शुद्ध पेयजल मिलेगा, लेकिन अब तक इनका संचालन तक नहीं कराया जा सका है। टिकैतगंज के संदीप मिश्र का कहना है कि गंगा किनारे डलमऊ नगर बसा है, यहां पर इस महत्वपूर्ण काम को समय से पूरा कराया जाना चाहिए। यहीं के पंडित हरिश्चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि मुहल्ले के लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिए अफसरों को भी गंभीर होना चाहिए। उन्हें कार्यदायी संस्था से पूछना चाहिए कि आखिर अब तक काम क्यों नहीं पूरा हुआ।

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