कड़ाके की ठंड में कांप रहे मजदूर, कैसे चलाएं फावड़ा
प्रतापगढ़ इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है। गलन तेज होने से इसका असर मनरेगा से होन
प्रतापगढ़ : इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है। गलन तेज होने से इसका असर मनरेगा से होने वाले विकास कार्यों पर भी पड़ रहा है। जैसे-जैसे तेजी से ठंड पड़ रही है, वैसे ही मनरेगा मजदूर कम होते जा रहे हैं। एक ओर जहां पखवारे भर पहले काम करने वाले जिले में मनरेगा मजदूरों की 40 हजार से अधिक की थी, वहीं तीन दिन पहले इसकी संख्या 23 हजार 233 पहुंच गई है।
जिले में एक हजार 193 ग्राम पंचायतें हैं। इन ग्राम पंचायतों में पहले एक दिन में 40 हजार 500 मजदूर काम करते थे। वहीं बुधवार को इसकी संख्या घटकर 23 हजार 233 हो गई। आकड़ों पर गौर करें तो आसपुर देवसरा ब्लाक की ग्राम पंचायतों में 850, बाबा बेलखरनाथ धाम में एक हजार 10, बाबागंज में दो हजार 89, बिहार में दो हजार 906, गौरा में 839, कालाकांकर में एक हजार 472, कुंडा में एक हजार 650, लक्ष्मणपुर में एक हजार 548 मनरेगा मजदूर काम कर रहे हैं। इसी तरह से लालगंज में एक हजार 43, मंगरौरा में एक हजार 926, मानधाता में दो हजार 147, पट्टी में 786, सदर में 721, रामपुर संग्रामगढ़ में 923, संडवा चंद्रिका में एक हजार 648, सांगीपुर में एक हजार 174 व शिवगढ़ में 501 मजदूर काम कर रहे हैं। डीसी मनरेगा इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि ठंड से मजदूरों की संख्या कम हुई है। --- पट्टी, गौरा, शिवगढ़, सदर की सबसे खराब प्रगति मनरेगा मजदूरों की संख्या घटने की संख्या सबसे अधिक पट्टी, गौरा, शिवगढ़, सदर की है। हालांकि पहले से ही इन ब्लाकों की ग्राम पंचायतों में कम मजदूरों को काम दिया गया। जिले में सैकड़ों ऐसे गांव हैं जहां मनरेगा से कोई खास काम नहीं होता है। मनरेगा से भुगतान न होने से वह काम कराने से कतराते हैं। --- सचिव बरत रहे लापरवाही ग्राम पंचायतों में हो रहे विकास कार्य की मॉनीटरिग में सचिव लापरवाही बरत रहे हैं। वह गांव में जाने के बजाय प्रधान से फोन पर ही जानकारी ले लेते हैं। ब्लाक के बीडीओ भी बहुत कम ही निरीक्षण करते हैं।