गैस की बढ़ती महंगाई से बुझे उज्ज्वला के चूल्हे
गैस की बढ़ती कीमतों से उज्ज्वला योजना के तहत गैस लेने वाले उपभोक्ताओं के चूल्हे बुझ गए हैं। कई ऐसे गरीब परिवार हैं जो पिछले कई महीनों से गैस नहीं भरा रहे हैं। वह लकड़ी के चूल्हे पर ही खाना बना रहे हैं। गैस के दाम को लेकर वह तनाव में हैं। उज्ज्वला गैस लेकर अब पछता रहे हैं।
संवाद सूत्र, प्रतापगढ़ : गैस की बढ़ती कीमतों से उज्ज्वला योजना के तहत गैस लेने वाले उपभोक्ताओं के चूल्हे बुझ गए हैं। कई ऐसे गरीब परिवार हैं जो पिछले कई महीनों से गैस नहीं भरा रहे हैं। वह लकड़ी के चूल्हे पर ही खाना बना रहे हैं। गैस के दाम को लेकर वह तनाव में हैं। उज्ज्वला गैस लेकर अब पछता रहे हैं।
जिले भर में पांच तहसील है। इसमें सदर, रानीगंज, पट्टी, कुंडा व लालगंज शामिल है। जिला पूर्ति विभाग के अनुसार जिले भर में उज्जवला गैस के दो लाख 16 हजार 320 उपभोक्ता हैं। शासन से मिले निश्शुल्क गैस के मिलने से गांव की गरीब महिलाओं को लकड़ी के चूल्हे पर खाना बनाने से निजात मिल गई थी। वहीं गैस के दाम में हुई वृद्धि से उनको काफी परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। जून माह में जहां 865 रुपये में उज्ज्वला गैस था, वहीं इसकी कीमत अब 890 रुपये हो गया है। ऐसे में वह इतना पैसा देकर गैस भराने में सक्षम नहीं हैं। सदर तहसील क्षेत्र के जहनईपुर, कोहड़ा, श्रीकांतपुर, कुसमी, उसरी, उपाध्यायपुर गांव के कई ऐसे उज्जवला गैस के कनेक्शनधारक हैं, जो कई माह से गैस नहीं भरा रहे हैं। इसकी मुख्य वजर है गैस की बढ़ी कीमत। वह फिर से लकड़ी के चूल्हे का सहारा लिए हैं। इतनी महंगी गैस, कैसे भराएं
संसू, जगेसरगंज : उज्ज्वला गैस का कनेक्शन भले ही निश्शुल्क दे दिया गया, लेकिन गैस महंगी होने से उसे नहीं भरा पा रहे हैं। सदर ब्लाक के पूरे महिमा गांव की लक्खी देवी को जब उज्ज्वला गैस मिला तो खुशी से झूम उठीं। वहीं जब गैस का दाम बढ़ गया तो वह निराश हो गईं। लक्खी बताती है कि हम लोग गरीब परिवार से हैं। आय का कोई जरिया नहीं है। ऐसे में इतनी महंगी गैस हम नहीं भरा पाएंगे। लकड़ी के चूल्हे पर ही खाना तैयार किया जाता है। गैस का दाम काफी महंगा हो गया है। पिछले दो माह से हम लोग सिलेंडर नहीं भरा रहे हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत दयनीय है।
- शिमला देवी, सकतपुर गैस कनेक्शन फ्री में तो मिल गया, लेकिन इतनी महंगी गैस भराने की क्षमता नहीं है। बारिश में लकड़ियां भी गीली हो गई हैं। बहुत दिक्कत हो रही है।
- कृष्णा देवी, सकतपुर गैस पर खाना बनाने से पर्यावरण सुरक्षित रहता है। महिलाएं कम समय में आसानी से खाना बना लेती हैं। ऐसे में जो महिलाएं लकड़ी के चूल्हे पर खाना बना रहीं हैं उनसे आग्रह है कि वह गैस भराकर उसमें खाना बनाएं।
- रीना कुमारी, डीएसओ