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नौनिहालों में सीखने की ललक पैदा करेगा शिक्षकों का टीएलएम

परिषदीय प्राथमिक स्कूलों के नौनिहालों के पठन-पाठन में शिक्षकों का (टीएलएम) टीचिग लर्निंग मटेरियल सीखने की ललक पैदा करेगा। इसके लिए शासन ने प्रत्येक शिक्षक को तीन सौ रुपये के हिसाब से 25.54 लाख रुपये की धनराशि बेसिक शिक्षा विभाग को दे दी है। इसे शिक्षकों के खाते में भेजा जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Dec 2021 10:42 PM (IST)Updated: Wed, 01 Dec 2021 10:42 PM (IST)
नौनिहालों में सीखने की ललक पैदा करेगा शिक्षकों का टीएलएम
नौनिहालों में सीखने की ललक पैदा करेगा शिक्षकों का टीएलएम

संवाद सूत्र, प्रतापगढ़ : परिषदीय प्राथमिक स्कूलों के नौनिहालों के पठन-पाठन में शिक्षकों का (टीएलएम) टीचिग लर्निंग मटेरियल सीखने की ललक पैदा करेगा। इसके लिए शासन ने प्रत्येक शिक्षक को तीन सौ रुपये के हिसाब से 25.54 लाख रुपये की धनराशि बेसिक शिक्षा विभाग को दे दी है। इसे शिक्षकों के खाते में भेजा जाएगा।

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जिले में 3032 परिषदीय विद्यालय हैं। इनमें 8 हजार 516 शिक्षक तैनात हैं। इन सभी को टीएलएम के लिए तीन-तीन सौ रुपये की धनराशि दी जाएगी। जिले के करीब छह लाख परिषदीय बच्चों को विषयों के कठिन बिदुओं को शिक्षण अधिगम सामग्री (टीएलएम) से आसानी से समझाया जा सकेगा। प्रत्येक शिक्षक अपने-अपने विषयों में कठिन पाठों व बिदुओं को उदाहरण देकर या फिर उससे संबंधित कोई यंत्र या पोस्टर दिखाकर बच्चों को समझाने का प्रयास करता है। परिषदीय विद्यालयों में दो से तीन साल पहले 500 रुपये प्रति शिक्षक टीएलएम के लिए दिया गया था। पिछले दो सालों में टीएलएम को लेकर कोई राशि जारी नहीं की गई। इस बार प्रति शिक्षक तीन सौ रुपये जारी हो रहे हैं। इसके माध्यम से शिक्षक अपने विषय की शिक्षण सामग्री खरीदकर बच्चों को समझाने का प्रयास करेंगे। जिला समन्वयक प्रशिक्षण अजय दुबे ने बताया कि जिले के आठ हजार 516 शिक्षकों के लिए 25 लाख 54 हजार रुपये जारी किए गए हैं। सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को शिक्षकों को प्रेरित करने के निर्देश दिए गए हैं। क्या है टीएलएम

शिक्षा जगत में ऐसे उदाहरणों व उत्पादों को जिनकी मदद से बच्चों को विषय सीखने में आसानी हो या उनमें सीखने की ललक पैदा हो, उन्हें शिक्षण अधिगम सामग्री यानी टीएलएम कहते हैं। यह भी हैं शामिल

अधिगम सामग्री तो शून्य निवेश से भी जुटाई जाती है। इनमें पुराने रंगीन कागजों का प्रयोग, पत्थर के टुकड़े, रिफिल, पुराने पेन, तीलियां, बीज, पुराने कपड़े आदि शामिल हैं। इनकी मदद से भी छोटा बड़ा, समूह बनाना, चित्र बनाना व तह लगाना आदि सिखाया जा सकता है। जिला समन्वयक प्रशिक्षण अजय दुबे ने बताया कि इसके अलावा सांप सीढ़ी, राष्ट्रीय प्रतीक, फल फूलों के कार्ड, रेलवे के टिकट, कविता पोस्टर्स सहित कई सामग्री ऐसी हैं जो कुछ रुपयों में आ सकतीं हैं। इनकी मदद से बच्चों को काफी कुछ सिखाया जा सकता है। इसके अलावा थर्माकोल आदि के माध्यम से उभरते हुए अक्षर, अंक आदि को भी समझाया जा सकता है। गेंद, कंचे व तीलियां भी सिखाती हैं गणित

सुनने में भले ही अटपटा लगे पर बच्चों को गणित ऐसे भले ही न समझ आए पर कंचों व गेंदों को गिनकर गिनती सिखाई जाए तो उनको जल्द समझ में आ जाती है। एआरपी धर्मेंद्र ओझा ने बताया कि गणित किट में चांदा, पटरी, पेंसिल, रबर, कटर, ठोस आकृतियां, गिनतारा, डिस्क आदि टीएलएम हैं। घड़ी, मानक पैमाना, तापमापी, कमानीदार तुला आदि मॉडल पर्यावरण अध्ययन को समझाने के लिए बच्चों के काम आ सकती हैं। इनमें विभिन्न देशों के झंडे, राष्ट्रीय प्रतीकों के मॉडल भी शामिल हैं।

टीएलएम के लिए शासन से धनराशि मिली है। प्रत्येक शिक्षक को तीन सौ रुपये इसके लिए दिए जाएंगे। जल्द ही यह पैसा शिक्षकों के खाते में पहुंच जाएगा।

-सुधीर कुमार सिंह, बीएसए


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