पेड़ों पर अभी टिकोरा, बाजार में छाया आंध्र प्रदेश का आम
भले ही पेड़ों पर अभी अमिया यानि टिकोरा ही लगा है पर इन दिनों शहर से लेकर अंचल तक के बाजारों में आंध्र प्रदेश का बादामी आम छाया हुआ है। जिस भी बाजार व चौराहे से गुजरिए तो आम के ठेले जरूर देखने को मिल रहे हैं। भले ही आम को देखने के बाद हर कोई खरीदने को मजबूर हो जा रहा है लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है।
संवाद सूत्र, प्रतापगढ़ : भले ही पेड़ों पर अभी अमिया यानि टिकोरा ही लगा है, पर इन दिनों शहर से लेकर अंचल तक के बाजारों में आंध्र प्रदेश का बादामी आम छाया हुआ है। जिस भी बाजार व चौराहे से गुजरिए तो आम के ठेले जरूर देखने को मिल रहे हैं। भले ही आम को देखने के बाद हर कोई खरीदने को मजबूर हो जा रहा है, लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है।
अप्रैल माह का पखवारा बीतने को है। अभी पेड़ों में आमियां लगनी शुरू हुई हैं। इसे तैयार होकर पकने में एक से दो माह का समय लगेगा, लेकिन वहीं इन दिनों बाजारों में आंध्र प्रदेश का बादामी आम पटा हुआ है। भले ही कार्बेट से पकाए गए आम में टेस्ट नहीं है, लेकिन ठेले पर रुककर हर कोई आम खरीदते जरूर देखे जा रहे हैं। इस बाम का लोग जूस पीने में अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं। शहर व अंचल में जूस की दुकानों पर भी मैंगो जूस की बिक्री अधिक हो रही है। दुकानदार 25 से 30 रुपये प्रति गिलास के हिसाब से पैसा ले रहे हैं। जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. मनोज खत्री का कहना है कि बाजारों में जो पका आम बिक रहा है, यह केमिकल का पकाया हुआ है। इसके सेवन से स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। इसलिए जब तक पेड़ का पका आम न मिलने लगे, तब तक इससे बचे रहें।