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इस बार भी किसानों को नहीं मिला उचित मूल्य, बिचौलियों की बल्ले-बल्ले

भले ही जिले की पहचान आंवले से है लेकिन आंवला किसानों को हर साल आंवले का उचित मूल्य नहीं मिलता है। कभी प्रकृति की मार से फलत कम हो जाती है तो कभी अच्छी पैदावार होने के बाद बिचौलियों के चक्कर में पिस जाते हैं। इस बार भी उन्हें अपने उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में फायदा न होने से अब किसान आंवले की बाग को काट दे रहे हैं। उसमें गेहूं धान सरसों की बोआई करते हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Nov 2020 10:33 PM (IST)Updated: Mon, 23 Nov 2020 10:33 PM (IST)
इस बार भी किसानों को नहीं मिला उचित मूल्य, बिचौलियों की बल्ले-बल्ले
इस बार भी किसानों को नहीं मिला उचित मूल्य, बिचौलियों की बल्ले-बल्ले

संवाद सूत्र, प्रतापगढ़ : भले ही जिले की पहचान आंवले से है, लेकिन आंवला किसानों को हर साल आंवले का उचित मूल्य नहीं मिलता है। कभी प्रकृति की मार से फलत कम हो जाती है तो कभी अच्छी पैदावार होने के बाद बिचौलियों के चक्कर में पिस जाते हैं। इस बार भी उन्हें अपने उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में फायदा न होने से अब किसान आंवले की बाग को काट दे रहे हैं। उसमें गेहूं, धान, सरसों की बोआई करते हैं।

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जिले के सदर, संडवा चंद्रिका, पट्टी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर आंवले का उत्पाद होता है। उद्यान विभाग के अनुसार सात हजार हेक्टेअर में आंवले की बाग है। इसके पहले तो बाग करीब 16 हजार हेक्टेअर में थी। जब किसानों को आंवले कस सही मूल्य नहीं मिला तो वह बाग काटकर खेती करने लगे। इस बार भी आंवले की पैदावार अच्छी हुई, लेकिन रोग लगने से आंवला तैयार होने के पहले ही गिर पड़ा। जो बचा भी उसे एजेंटों ने आठ से 10 रुपये किलो के हिसाब से खरीद लिया, जबकि वही एजेंट उसे पतंजलि, डाबर, झंडू सहित अन्य कंपनियों को दो गुने दाम पर दिया। मेहनत करके किसान आंवले की खेती कर रहे है, जबकि फायदा एजेंटों का हो रहा है। इसे लेकर इस बार भी किसानों को आंवले का अच्छा मूल्य नहीं मिला। जगेसरगंज क्षेत्र के आंवला किसान हरिशंकर मिश्रा, अवधेश मौर्या, गिरधारी सिंह, झल्लर सिंह, राधेश्याम तिवारी, राम प्रसाद पांडेय, भानु प्रताप यादव का कहना है कि जब तक सरकार आंवले का समर्थन मूल्य निर्धारित नहीं करेगी। तब तक हम लोगों को आंवले का उचित मूल्य नहीं मिलेगा। हम लोग जितनी मेहनत करते हैं, उस हिसाब से उसका दाम नहीं मिल रहा है। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए।

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गैर प्रांतों में भेजा जा रहा आंवला

जिले के आंवले की डिमांड गैर प्रांतों व कंपनियों में अधिक है। यही वजह है कि यहां का आंवला पंजाब, दिल्ली, कोलकाता, मध्य प्रदेश सहित अन्य कई प्रांतों में भेजा जाता है। खास बात यह है कि च्यवनप्राश बनाने वाली कई कंपनियां भी आंवला मंगाती हैं।


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