सचिवों और प्रधानों में तालमेल नहीं, विकास कार्य ठप
प्रतापगढ़ ग्राम पंचायतों में सचिवों और प्रधानों में तालमेल न होने से इसका असर विकास कार्यों पर
प्रतापगढ़ : ग्राम पंचायतों में सचिवों और प्रधानों में तालमेल न होने से इसका असर विकास कार्यों पर पड़ रहा है। गांवों में महीनों से विकास कार्य ठप पड़ा है। ग्राम पंचायतों में विकास योजनाओं का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है। यह मामला सीडीओ समेत अफसरों तक पहुंचा है।
जिले भर में 17 ब्लाक हैं। इसके अंतर्गत एक हजार 193 ग्राम पंचायतें हैं। इसमें मानधाता में 101, बाबा बेलखरनाथ धाम में 78, बिहार में 81, बाबागंज में 72, कुंडा में 84, आसपुर देवसरा में 70, पट्टी में 62, मंगरौरा में 63, शिवगढ़ में 64, गौरा में 60, सदर में 61, संडवा चंद्रिका में 69, लक्ष्मणपुर में 67, लालगंज में 57 सहित अन्य ब्लाकों में मिलाकर कुल एक हजार 193 ग्राम पंचायतें हैं। विभिन्न ब्लाकों की दो दर्जन से अधिक ऐसी ग्राम पंचायतें हैं, जहां के सचिवों व प्रधानों से नहीं बन रही है। उदाहरण के तौर पर लक्ष्मणपुर ब्लाक के हदिराही, संडवा चंद्रिका के दांदूपुर रनसिंह, सिघनी, पचखरा, रसूलपुर गुलरहा, पारा हमीदपुर सहित अन्य गांवों में सचिव व प्रधान से तालमेल न होने से विकास कार्य ठप पड़ा है। मामला सीडीओ व डीपीआरओ तक पहुंचा है। तालमेल न होने से ग्राम पंचायतों के खाते में डंप पड़ा 20 करोड़ रुपये खर्च नहीं हो पा रहा है। सीडीओ प्रभाष कुमार ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है। इसकी जांच कराई जा रही है।
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भुगतान न होना भी बनी वजह
ग्राम पंचायतों में पूर्व प्रधानों ने भी काफी कार्य कराए। जब ग्राम पंचायतों के खाते में बजट आया तो उनका कार्यकाल समाप्त हो चुका था। अब नए प्रधान पूराने कार्यों का भुगतान करने को राजी नहीं है। तालमेल न होना भी यह वजह बनी हुई है। कुछ सचिव पुराने प्रधानों को ही तवज्जुब दे रहे हैं। ग्राम पंचायतों में विकास कार्य न होने को लेकर आए दिन शिकायतें ब्लाकों के बीडीओ, एडीओ पंचायत तक पहुंच रही हैं।
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प्रधान ने खाता खोलवाने से खड़े किए हाथ
लक्ष्मणपुर ब्लाक के हदिराही गांव में ग्राम विकास अधिकारी संजय पांडेय की तैनाती है। गबन करने के कई मामले में उन पर कार्रवाई हो चुकी है। इनकी तैनाती गांव में हुई तो प्रधान ने ग्राम विकास अधिकारी के साथ खाता खोलवाने से हाथ खड़े कर दिए। इसी तरह से कई और सचिव हैं जिनके साथ खाता खोलवाने से प्रधान तैयार नहीं हैं। सचिव वीरेंद्र सरोज समेत कई और ऐसे कर्मी हैं, जिनके विरुद्ध आए दिन शिकायतें बीडीओ व जिला स्तरीय अफसरों तक पहुंच रही है। काफी प्रयास के बाद भी अभी तक गांव का खाता नहीं खुला।