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ब्लैक स्पॉटों पर हादसा रोकने का नहीं है कोई इंतजाम

जिले में चिह्नित ब्लैक स्पॉटों पर हादसों को रोकने का कोई इंतजाम नहीं है। इन स्थानों पर न तो ट्रैफिक सिग्नल लगा है और न ही रिफलेक्टर। ऐसे में वाहनों की रफ्तार कम नहीं होने से आए दिन हादसे होते रहते हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 26 Nov 2020 11:13 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2020 11:13 PM (IST)
ब्लैक स्पॉटों पर हादसा रोकने का नहीं है कोई इंतजाम
ब्लैक स्पॉटों पर हादसा रोकने का नहीं है कोई इंतजाम

प्रतापगढ़ : जिले में चिह्नित ब्लैक स्पॉटों पर हादसों को रोकने का कोई इंतजाम नहीं है। इन स्थानों पर न तो ट्रैफिक सिग्नल लगा है और न ही रिफलेक्टर। ऐसे में वाहनों की रफ्तार कम नहीं होने से आए दिन हादसे होते रहते हैं।

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जिले से पांच प्रमुख हाईवे लखनऊ-प्रयागराज हाईवे, प्रयागराज-अयोध्या हाईवे, रायबरेली-जौनपुर हाईवे, वाराणसी लखनऊ हाईवे, ढकवा-गौरीगंज हाईवे गुजरा है। इसके अलावा गौरीगंज से वाया अठेहा (लालगंज)-आलापुर और कोहंड़ौर वाया पट्टी देल्हूपुर प्रमुख मार्ग है। सबसे दुर्घटना बाहुल्य शहर का इलाका जोगापुर से चिलबिला तक का है। शहर के प्रमुख चौराहे भंगवा चुंगी, चौक, सदर मोड़, आंबेडकर चौराहा, मीराभवन, चिलबिला तिराहा पर कोई ट्रैफिक सिग्नलनहीं लगा है।

इसके अलावा जिले में करीब 30 और ब्लैक स्पॉट चिह्नित किए गए हैं। इन ब्लैक स्पॉट स्थानों पर हादसों को रोकने का कोई इंतजाम नहीं है। न तो कहीं पर ट्रैफिक सिगनल लगा है और न ही रिफलेक्टर। रानीगंज इलाके का चिरकुट्टी, देल्हूपुर में दुर्गागंज मोड़, विश्वनाथगंज के मानधाता मोड़, सुखपालनगर तिराहा कई ऐसे स्थान है, जहां तिराहा या चौराहा है। इन स्थानों के साथ ही ब्लैक स्पॉटों पर वाहनों की रफ्तार को कम करने का कोई इंतजाम नहीं है।

कुछ जगह तो तिराहा व चौराहा को इंगित करने के लिए संकेतक लगे हैं, लेकिन अधिकांश स्थानों से संकेतक गायब है। ऐसे में वाहन चाल को दूर से यह अंदाज नहीं लग पाता है कि आगे तिराहा या चौराहा है। इसलिए जब भी लिक मार्ग से कोई वाहन हाईवे पर आता है तो हाईवे से गुजर रहा वाहन चालक अपना नियंत्रण खो बैठता है। फिर दोनों वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं और लोगों की जान चली जाती है।

सड़क पर खड़े वाहनों से भी होते हैं हादसे

संसू, प्रतापगढ़ : प्राय: यह देखा जाता है कि कोई भी वाहन खराब या दुर्घटनाग्रस्त होता है तो उसे कुछ दिनों के लिए सड़क पर छोड़ दिया जाता है। इससे खास तौर पर रात में वाहनों के चालक को सामने आ रहा वाहन नहीं दिखता है और फिर अचानक वाहन सामने देख चालक गाड़ी से नियंत्रण खो बैठते हैं और हादसे का शिकार हो जाते हैं। अभी हफ्ते भर पहले मानिकपुर थाना के देशराज का इनारा गांव के पास पंक्चर होने से हाईवे पर खड़े ट्रक के पीछे बोलेरो घुस गई थी, जिसमें बोलेरो चालक और उस पर सवार 13 बरातियों की मौत हो गई थी। यही नहीं ढाबे के पास सड़क के किनारे खड़े वाहनों के कारण भी आए दिन हादसे होते रहते हैं।

ट्रैफिक सिग्नल को भेजा है प्रस्ताव

संसू, प्रतापगढ़ : शहर व कस्बों के प्रमुख चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल लगाने के लिए प्रस्ताव यातायात पुलिस ने साल भर पहले शासन को भेजा था। हालांकि अभी तक प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली है। किसी भी चौराहे पर ट्रैफिक सिग्नल न होने के कारण यातायात पुलिस कर्मियों को आवागमन सामान्य बनाने के लिए रोज जूझना पड़ता है। टीएसआइ नरेंद्र सिंह ने बताया कि ट्रैफिक सिग्नल लगाने के लिए साल भर पहले शासन को प्रस्ताव भेजा गया था।

जिले के ब्लैक स्पॉट

चौक घंटाघर भंगवा भदोही

सराय सागर जहनईपुर डगैता

मकूनपुर कोहंडौर काशीपुर

गड़वारा भदौंसी छैवा पुल

चिरकुट्टी मोड़ जगतपुर मोड़ जामताली

लीलापुर सगरा सुंदरपुर घुइसरनाथ

राजापुर कुंडा कस्बा खेमीपुर

मवई क्रासिग देशराज का इनारा चौरा बीघा

मानिकपुर मोड़ आलापुर तिराहा सैफाबाद

ढखवा मोड़ विश्वनाथगंज-मानधाता मोड़


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