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30 बेड की सीएचसी में न तो डाक्टर हैं न दवाई

संड़वा चंद्रिका सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र यानी सीएचसी में अधीक्षक समेत नौ विशेषज्ञों के पद सृजित हैं लेकिन एक भी विशेषज्ञ नहीं है। 30 बेड की सीएचसी में न तो डाक्टर हैं और न ही जरूरत के मुताबिक दवाएं। गर्भवती को जिला मुख्यालय स्थित मेडिकल कालेज जाना पड़ता है। सप्ताह भर से ओपीडी में करीब डेढ़ सौ मरीज का औसत है। दैनिक जागरण ने सीएचसी की पड़ताल की तो सुविधाएं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र यानी पीएचसी से भी बदतर निकली।

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Jul 2021 11:07 PM (IST)Updated: Mon, 26 Jul 2021 11:23 PM (IST)
30 बेड की सीएचसी में न तो डाक्टर हैं न दवाई
30 बेड की सीएचसी में न तो डाक्टर हैं न दवाई

संवाद सूत्र, संड़वा चंद्रिका : संड़वा चंद्रिका सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र यानी सीएचसी में अधीक्षक समेत नौ विशेषज्ञों के पद सृजित हैं, लेकिन एक भी विशेषज्ञ नहीं है। 30 बेड की सीएचसी में न तो डाक्टर हैं और न ही जरूरत के मुताबिक दवाएं। गर्भवती को जिला मुख्यालय स्थित मेडिकल कालेज जाना पड़ता है। सप्ताह भर से ओपीडी में करीब डेढ़ सौ मरीज का औसत है। दैनिक जागरण ने सीएचसी की पड़ताल की तो सुविधाएं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र यानी पीएचसी से भी बदतर निकली।

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37 साल पहले यूपी के मुख्यमंत्री रहे श्रीपति मिश्र ने क्षेत्र की जनता को समर्पित की सीएचसी में सीजनल वायरल, खांसी,फंगस व पेट दर्द के मरीज अधिक आ रहे हैं। महिलाएं भी सीएचसी आती हैं, लेकिन यहां न तो इलाज मिलता है और न ही उचित सलाह। महिला रोग व बाल रोग के इलाज के लिए मरीजों को जिला मुख्यालय भागना पड़ता है। हड्डी रोग विषेशज्ञ न होने से छोटा एक्सीडेंट होने पर घायलों को मरहम पट्टी करके तत्काल जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। वहीं बच्चों के डाक्टर न होने से उनका भी इलाज नहीं हो पाता है। कई ऐसे मरीज हैं जो सप्ताह भर में दो बार डाक्टर को दिखा चुके हैं, लेकिन आराम न मिलने पर डाक्टर ने बाहर की दवाई लिख दी।

सृजित पद के मुताबिक तैनाती नहीं

अधीक्षक, फिजीशियन, सर्जन, रेडियोलाजिस्ट, एनीथिशिया, बाल रोग विशेषज्ञ, महिला रोग विशेषज्ञ, डेंटल सर्जन, पैथालाजिस्ट, दो मेडिकल अफसर, लैव टेक्नीशियन के पद सृजित हैं। अस्पताल पर पौने दो लाख लोगों को स्वस्थ्य रखने की जिम्मेदारी है। लेकिन, अधीक्षक के साथ दो मेडिकल अफसर ही तैनात। मरीजों का दर्द

उमरी निवासी मोनी पति रवि मिश्रा के साथ सीएचसी आई थी। लेकिन कोई महिला डाक्टर न होने से लौट गई। कोल बजरडीह के मथुरा प्रसाद वर्मा के सीने में दर्द था। चिकित्सक ने गैस व दर्द की दवा देकर ह्रदय रोग विशेषज्ञ को दिखाने की सलाह दी। छह महीने के बच्चे को लेकर आई तकिया निवासी कमरुलनिशा के मुताबिक इलाज नहीं मिला। जंग खा रहीं करोडों की मशीनें

सीएचसी पर चिकित्सकों के अभाव में करोडों की मशीनें जंग खा रही हैं। अस्पताल में डिजिटल एक्स-रे मशीन भी में है। संविदा पर एक्सरे टेक्नीशियन की तैनाती भी हैं, लेकिन हड्डी रोग के चिकित्सक के न होने से मशीन आए दिन खराब रहती है। शासन के आदेश के बाद भी अभी सीएचसी पर अल्ट्रासाउंड मशीन नहीं लग सकी है। पूर्व विधायक की दी एंबुलेंस कबाड़

गडवारा के विधायक रहते बृजेश मिश्र सौरभ ने वर्ष 2008 में अपनी विधायक निधि से एक एंबुलेंस, ओटी में मरीजों के आपरेशन के लिए आधुनिक मशीन व एक्सरे मशीन के उपकरण दिए थे। पिछले पांच साल से एंबुलेंस खराब हुई तो उसे ठीक नहीं कराया गया। जिससे सहूलियत होती।

मरीजों को उचित दवाई दी जाती हैं। डाक्टरों के न रहने पर मरीजों को मेडिकल कालेज रेफर किया जाता है। पूरबगांव पीएचसी पर तैनात महिला चिकित्सक को सीएचसी पर संबद्ध किया है। आराम न मिलने पर मजबूरी में बाहर की दवा लिखनी पड़ती है।

डा. सुनील यादव, अधीक्षक, सीएचसी।


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